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समाजसेवी मीरा ने वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों को कराया भोजन, बांटे गर्म कपड़े - गाजीपुर समाचार

यूपी के गाजीपुर में गुरुवार को समाजसेवी मीरा राय मकर संक्रांति के अवसर पर वृद्ध आश्रम पहुंची. वहां उन्होंने वृद्धजनों को भोजन कराया. इसके बाद उन्हें गर्म कपड़े भी भेंट किए.

बुजुर्गों को कराया भोजन
बुजुर्गों को कराया भोजन

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Published : Jan 15, 2021, 5:11 AM IST

गाजीपुर:जिले में गुरुवार को मकर संक्रांति के अवसर पर समाजसेवी मीरा राय ने अपनी तरफ से एक अनोखी पहल की. उन्होंने जिला मुख्यालय पहुंचकर 50 से अधिक वृद्ध आश्रम में बेसहारा पुरुष एवं महिला वृद्ध जनों को मकर संक्रांति के अवसर पर भोजन कराया. साथ ही वृद्धों को गरम कपड़े भी भेंट किए.

मीरा राय ने की अलग पहल
बताते चलें कि समाजसेवी मीरा राय मूल रूप से मोहम्मदाबाद नगर के निवासी हैं. उनके द्वारा पिछले कई वर्षों से समाज सेवा के क्षेत्र में नेक पहल किया जा रहा है. कभी वृद्ध आश्रम में जाना, तो कभी निराश्रितों को सहारा देना तो कभी अनाथालय में जाकर बच्चों को उनकी इच्छाओं की पूर्ति करना मीरा राय के द्वारा किया जाता है, जिससे कि उनका समाज में एक अलग पहचान स्थापित करता है.

आज पूरे देश भर में बड़े ही धूमधाम से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. हर वर्ष शीत ऋतु के पौष मास में जब भगवान भास्कर उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो सूर्य की इस संक्रांति को मकर संक्रांति के रूप में देशभर में मनाया जाता है. हर वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार पड़ता है, जहां पिछले कुछ वर्षों से 15 जनवरी को पढ़ रहा था. इस साल का संजोग फिर एक बार ऐसा बना कि फिर 14 जनवरी को मकर संक्रांति पड़ा है, जिसे लोग काफी हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं.

समाजसेवी मीरा ने क्या कहा ?
समाजसेवी मीरा राय उनका कहना है कि जब मैं कम उम्र की थी, तभी उनकी माता जी का देहांत हो गया था, जिसके बाद वह काफी निराश हो गई कि अब हमारा सहारा कौन बनेगा? उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई लिखाई के बाद उनका विवाह मोहम्मदाबाद निवासी वीरेंद्र राय के साथ हुआ. जिनका मोहम्मदाबाद में आलू के कोल्ड स्टोरेज है, जिनसे उनका व्यवसाय संचालित होता है.

बता दें कि मीरा राय ने अपने माता की मृत्यु के बाद ही समाज के हर निराश्रित लोगों को सहारा देने व आश्रय देने का मन में संकल्प ले लिया. इसके बाद पूरे जिले भर में वृद्ध आश्रम से लेकर निराश्रित आश्रम बाल गिरी जैसे तमाम स्थानों पर पहुंचकर निराश्रितों को संभालना व उनकी इच्छाओं की पूर्ति करना, उनका एक मकसद है.

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