गाजीपुर: 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अपनी वीरता और अदम्य शौर्य दिखाने वाले परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का गुरुवार को 55वां शहादत दिवस मनाया गया. इस मौके पर लहुरी काशी वासियों ने अपने मिट्टी के लाल को गर्व से सलाम किया.
शहीद वीर अब्दुल हमीद को श्रद्धांजलि देते डीएम शहीद वीर अब्दुल हमीद को दी गई श्रद्धांजलि
इसके साथ ही शहीद वीर अब्दुल हमीद के शहादत दिवस के मौके पर सेना के अधिकारी और जिले के डीएम ओम प्रकाश आर्य भी उनके पैृतक गांव धामूपुर में पहुंचे और शहीद वीर अब्दुल हमीद और उनकी पत्नी रसूलन बीवी की प्रतिमा पर पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रंद्धाजलि दी. बता दें कि वीर अब्दुल हमीद की पत्नी का पिछले वर्ष इंतकाल हो गया था. जिसके बाद उनकी प्रतिमा वीर अब्दुल हमीद की प्रतिमा के ठीक बगल में लगाई गई है.
शहीद वीर अब्दुल हमीद की पत्नी की मूर्ति पर माला पहनाते डीएम 1 जुलाई सन 1933 को हुआ था वीर अब्दुल हमीद का जन्म
कोरोना महामारी के चलते इस बार सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का शहादत दिवस बेहद सादगी पूर्ण तरीके से मनाया गया. इस अवसर पर जिलाधिकारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि शहीदों का सम्मान करना देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है. आपको बता दें कि, गाजीपुर के लाल परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का जन्म धामूपुर में मो.उस्मान के घर 1 जुलाई सन 1933 को हुआ था. उनको बचपन से ही निशानेबाजी का बेहद शौक था और बड़े होने के बाद वे सेना में भर्ती हो गए.
1965 में पाकिस्तानी सेना को चटाई थी धूल
सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने 10 सितबंर 1965 को खेमकरन सेक्टर में अपनी आरसी गन से पाकिस्तानी सेना के तीन पैटर्न टैंको को एक के बाद एक ध्वस्त कर दिया. जिससे पाकिस्तानी सेना के पांव उखड़ गए. इसके बाद चौथे टैंक पर निशाना लगाते समय वे पाकिस्तानी टैंक के गोले का शिकार हो गए और मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देते हुए शहीद हो गए.
युद्धभूमि में अदम्य साहस और वीरता का परिचय देने के लिए भारत सरकार ने वीर अब्दुल हमीद को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया. साथ ही सरकार ने उनके पैतृक गांव धामूपुर में शहीद के स्मारक के रूप मे एक पार्क का निर्माण कराया. जहां हर साल धूम-धाम के साथ उनका शहादत दिवस मनाया जाता है.