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एक ब्रिज के संघर्ष की रोचक कहानी, 54 साल बाद प्रस्ताव मंजूर, सात साल में बनकर तैयार - गाजीपुर के एक ब्रिज की कहानी

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में 14 सौ करोड़ रुपए में तैयार रेल कम रोड ब्रिज से पहली बार 28 मार्च को रेल इंजन दौड़ेगा. इस ब्रिज को अस्तित्व में आने में करीब 61 साल लग गए. आइए जानते हैं इस ब्रिज के संघर्ष की कहानी.

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एक ब्रिज के संघर्ष की रोचक कहानी

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Published : Mar 2, 2023, 10:18 PM IST

गाजीपुर के रेल कम रोड ब्रिज की कहानी पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

गाजीपुरः कोई भी सड़क हो या रेल रूट, उस पर पुल बनना हो या कोई और काम होना हो तो पहले उसका प्रस्ताव तैयार होता है, फिर उसके पास होने पर बजट जारी होता है. उसके बाद काम शुरू होता है और निर्धारित समय में वह पूरा करके जनता या उस विभाग के सुपुर्द कर दिया जाता है. लेकिन, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में बनकर तैयार हुए रेल कम रोड ओवरब्रित के संघर्ष की अपनी एक अलग और अनोखी रोचक कहानी है.

इस कहानी की शुरुआत होती है सन 1962 से. कहानी के मुख्य किरदार उस समय के कांग्रेस सांसद विश्वनाथ सिंह गहमरी ने पूर्वांचल के पिछड़ेपन से संसद को अवगत कराया था. जिसमें बलिया- छपरा- वाराणसी रेल रूट को दिल्ली हावड़ा- रेलखंड से जोडने के लिए गाजीपुर में गंगा पर रेल पुल बनाने की आवश्यकता बताई गई थी. लेकिन, इस जरूरत को 52 साल तक समझा ही नहीं गया.

गाजीपुर के निर्माणाधीन रेल कम रोड ब्रिज

फिर 2014 में इस ब्रिज की कहानी में अचानक नया मोड़ आया. कहानी में नए किरदार की एंट्री होती है जो उस समया के गाजीपुर से भाजपा सांसद और वर्तमान में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा रहे. उनकी पहल पर पीएम मोदी की कैबिनेट ने परियोजना को मंजूरी दे दी. लेकिन, इसमें भी दो साल लग गए. यानी साल 2016 में प्रस्ताव को मंजूरी मिली.

मंजूरी मिलने के बाद पुल को तीन साल में बनकर तैयार होना था. लेकिन, कोरोना संक्रमण और लोकसभा चुनाव में मनोज सिन्हा की हार के बाद इस पुल के निर्माण की रफ्तार थोड़ी धीरे हो गई थी. इन सबके बाद भी संघर्ष हुए पुल अब बनकर लगभग तैयार है और 28 मार्च को इस पर पहली बार रेल का इंजन दौड़ेगा. इसके साथ ही 30 जून तक परियोजना का प्रथम चरण पूरा हो जाएगा. उसके बाद गाजीपुर घाट से ही मऊ जनपद को जोड़ने वाली एक दूसरी परियोजना प्रारम्भ हो जाएगी. उम्मीद की जा रही है कि इस अत्याधुनिक ज्वाइंटलेस आयरन रेल कम रोड ब्रिज के चालू होने के बाद हावड़ा से दिल्ली जाने वालों को एक नया और शार्ट रेल रूट मिल जाएगा.

गाजीपुर के निर्माणाधीन रेल कम रोड ब्रिज का निरीक्षण करते रेलवे अधिकारी.

आरवीएनएल के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर (सीपीएम) विकास चंद्रा ने बताया है कि इस कार्य को तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस पुल की परियोजना 3 जून 2016 को तय की थी और इसकी मंजूरी कैबिनेट कमेटी ऑफ इकनोमिक अफेयर्स ने इसकी मंजूरी दे दी थी. फिर सारी क्लियरेंस लेकर के 14 नवम्बर को पीएम मोदी ने इसका शिलान्यास किया और आज ये इस स्थिति में पहुंच गया है कि ट्रेन दौड़ाने के लिए तैयार हो गया है.

गाजीपुर के निर्माणाधीन रेल कम रोड ब्रिज का निरीक्षण करते रेलवे अधिकारी.

पुल की क्या है खासियतः गाजीपुर में हमीद सेतु के बगल में गंगा नदी पर बन रहे ब्रिज डबल डेकर पुल है. इसमें ऊपर रोड और उसके नीचे ट्रेन दौड़ेगी. उसके नीचे मोक्ष दायिनी गंगा की अविरल धारा बहेगी. पुल में रेल की पटरियां दोनों तरफ बिछा दी गई हैं और अब टेक्निकल टीम (CCF) 28 मार्च को फर्स्ट फेज का पहला ट्रायल दिलदारनगर गाजीपुर के नए रेल रुट ताड़ीघाट (सोनवल) से रेल इंजन चला कर इसका ट्रायल करेगा. ये ट्रायल गंगा नदी के ऊपर से गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन तक किया जाएगा. इसके बाद 30 जून को ताड़ीघाट से गाजीपुर घाट तक का ट्रायल प्रस्तावित है, इस बीच ट्रायलों का दौर चलता रहेगा. सीआरएस (कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी) द्वारा निरीक्षण करने के बाद ट्रेन संचालन को जल्द ही हरी झंडी भी मिल जाएगी. इस बात की पुष्टि आरवीएनएल के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर (सीपीएम) विकास चंद्रा ने की है.

गाजीपुर के निर्माणाधीन रेल कम रोड ब्रिज का निरीक्षण करते रेलवे अधिकारी.

विकास चंद्रा ने बताया कि परियोजना का पहला चरण ताड़ीघाट (सोनवल) से सिटी रेलवे स्टेशन नई रेल लाइन पूर्ण हो चुका है. 28 मार्च को सीआरएस द्वारा डीजल इंजन चलाकर ट्रायल करने के बाद जल्द ही नई रेल लाइन की सौगात जनपद वासियों को मिलने की उम्मीद है. ताड़ी घाट (सोनवल) से गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन तक जाने वाली नई रेलवे लाइन की निगरानी दो जोन गोरखपुर और हाजीपुर करेंगे.

गाजीपुर के निर्माणाधीन रेल कम रोड ब्रिज का निरीक्षण करते रेलवे अधिकारी.

पुल से क्या-क्या होगा फायदाः इसके चालू होने के बाद जिले की व्यापारिक और अन्य गतिविधियां बढ़ जाएंगी. इस पुल के बनने के बाद रेल रूट को मुगलसराय से बाईपास करके हावड़ा से दिल्ली जाया जा सकता है. बाकी इस पुल को दिलदार नगर ताड़ीघाट से गाजीपुर सिटी और ताड़ीघाट से गाजीपुर घाट स्टेशन वाई डिजाइन बनाने में 14 सौ करोड़ का खर्च आएगा, जिसमें पहला चरण ताड़ीघाट से सिटी स्टेशन तक 28 मार्च और दूसरा चरण ताड़ीघाट से गाज़ीपुर घाट स्टेशन तक 30 जून तक पूरा कर दिया जाएगा.

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