गाजीपुर: चाइनीज ऐप टिकटॉक की प्रसिद्धि किसी से छिपी नहीं है. देश भर के लोगों ने टिकटॉक को लेकर जो दिलचस्पी दिखाई वह शायद ही किसी चाइनीज एप में दिखाई देगी, लेकिन इस ऐप पर प्रतिबंध लगने के कारण युवाओं में थोड़ी मायूसी भी रही. यही वजह है कि काशी के हरहुआ के रहने वाले युवा प्रखर सिंह सार्थक ने टिकटॉक को टक्कर देने वाला एक ऐप बनाया है. प्रखर की मानें तो उन्होंने लॉकडाउन के दौरान पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया अभियान से प्रभावित होकर दोस्तों संग मिलकर रिवाइंड ऐप बनाया है.
पांच युवाओं ने मिलकर बनाया टिकटॉक को टक्कर देने वाला ऐप, जानें खासियत - टिक टॉक ऐप
गाजीपुर के प्रखर ने अपने पांच मित्रों संग मिलकर चाइनीज ऐप टिकटॉक को टक्कर देने वाला एक ऐप डेवलप किया है. प्रखर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया अभियान से प्रभावित होकर दोस्तों संग मिलकर रिवाइंड ऐप बनाया है.
दो माह की मेहनत से बनाया ऐप
रिवाइंड ऐप के बारे में जानकारी देते हुए प्रखर ने बताया कि यह एक शॉर्ट वीडियो अपलोडिंग प्लेटफॉर्म है. ऐप पर 15 से 30 सेकंड के वीडियो अपलोड किए जा सकते हैं. तकनीकी भाषा में इसे डपसमैश बोलते हैं. दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद हमने यह ऐप डेवलप किया. प्रखर ने बताया कि ऐप की साइज महज 10 एमबी है. डेटा आपका बिल्कुल सेफ है. सिक्योरिटी एनालिस्ट से ऐप का सिक्योरिटी टेस्ट भी कराया गया है, जिसमें डाटा चोरी का कोई डर नहीं है.
टीम बढ़ाकर युवाओं को रोजगार देने की सोच
प्रखर चाहते हैं कि चीनी ऐप की तरह वह भी रेवेन्यू जेनरेट करें. इस ऐप के जरिए जो भी रेवेन्यू जेनरेट हो वह पैसा विदेश जाने के बजाए देश के विकास में खर्च हो. उन्होंने कहा कि अगर उनका रिवाइंड ऐप बेहतर परफॉर्म करता है, तो वह अन्य युवाओं को भी इस प्लेटफार्म से जोड़कर रोजगार दे सकते हैं.
सरकारी मदद की है दरकार
प्रखर का कहना है कि यदि सरकार मदद करती है तो वह इस ऐप को और आगे लेकर जा सकते हैं. सरकार की स्टैंड अप इंडिया और स्टार्टअप इंडिया के फंड के लिए उन्होंने आवेदन किया है. प्रक्रिया चल रही है जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी, उन्हें फंडिंग मिल जाएगी. प्रखर की मानें तो यह भारत के युवाओं के लिए एक अच्छा अवसर है. कोरोना के चलते एक तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है, लेकिन प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया के तहत हम आगे बढ़ रहे हैं. ताकि हम खुद आत्मनिर्भर होने के साथ ही अन्य युवाओं को भी रोजगार दे सकें.