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एक ही परिवार के तीन मजदूरों की नहर में डूबने से मौत - गाजियाबाद

मुरादनगर की नूरगंज कॉलोनी निवासी एक ही परिवार के तीन मजदूर दादरी जिले के प्यावली गांव में रोजगार की तलाश में गए थे, जहां से 14 अप्रैल को वापस लौटते समय अधिक गर्मी होने के कारण वह लोग गंगनहर में नहाने लगे. जिसके बाद एक दूसरे को डूबने से बचाते समय तीनों मजदूरों की मौत हो गई.

एक ही परिवार के तीन मजदूरों की नहर में डूबने से मौत
एक ही परिवार के तीन मजदूरों की नहर में डूबने से मौत

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Published : Apr 19, 2021, 10:23 PM IST

गाजियाबाद: 14 अप्रैल को गंग नहर में नहाते समय तीन मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी. ऐसे में घटना के 7 दिन बीत जाने के बावजूद किसी भी नेता या जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी ने पीड़ित परिवार के घर जाकर संवेदनाएं व्यक्त करना तक उचित नहीं समझा है.

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गंगनहर में नहाने लगे
मुरादनगर की नूरगंज कॉलोनी निवासी एक ही परिवार के तीन मजदूर दादरी जिले के प्यावली गांव में रोजगार की तलाश में गए थे. जहां से 14 अप्रैल को वापस लौटते समय अधिक गर्मी होने के कारण वह लोग गंगनहर में नहाने लगे. जिसके बाद एक दूसरे को डूबने से बचाते समय तीनों मजदूरों की मौत हो गई.

तीन मजदूरों की मौत

परिवार का गुजारा करते
इस हादसे के बाद से मृतकों के परिवार में कोहराम मचा हुआ है. ईटीवी भारत को स्थानीय निवासियों ने बताया कि मृतक बच्चों के पिता का 3 महीने पहले एक्सीडेंट होने के कारण वह बेरोजगार हो गये थे और किराए के मकान पर रहकर अपने परिवार का गुजारा करते थे.

डूबने से तीनों मजदूरों की मौत
ईटीवी भारत को पीड़ित अफसर ने बताया कि उनके 20 वर्षीय बेटे इरफान, दूसरा उनका 32 वर्षीय भांजा फिरोज खान और उनकी बहन का दामाद जिसकी उम्र 36 साल की थी. यह तीनों दादरी क्षेत्र के प्यावली बिजली घर में मजदूरी करने के लिए गए हुए थे, जहां से वापस लौटते समय वह नहर के कम पानी में नहाने के लिए उतर गए, जहां पर कुंड में डूबने से तीनों मजदूरों की मौत हो गई, लेकिन इतना बड़ा हादसा होने के बाद उनसे मिलने के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी नहीं आया है.

कुंड में डूबने से हुई थी मौत
ईटीवी भारत को स्थानीय निवासी महताब खान ने बताया कि इतना बड़ा हादसा होने के बाद पीड़ित परिवार पर गमों का पहाड़ टूट गया है. यह मजदूर आदमी है और किराए पर रह कर अपना गुजारा करते हैं, लेकिन इससे भी बड़ा दुख दिया है कि इतना बड़ा हादसा होने पर किसी भी नेता जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी ने पीड़ित परिवार का हाल तक नहीं पूछा है.

चुनावी माहौल में नेताओं की भीड़
अगर चुनाव होते तो बहुत सारे नेता आज उनके दर पर होते. लेकिन अब पीड़ित परिवार पर आर्थिक संकट आ गया है तो कोई भी इनकी ओर नहीं देख रहा है. इसके साथ ही अन्य स्थानीय निवासियों का भी कहना है कि वह गुहार लगाते हैं कि इस पीड़ित परिवार की सहायता की जाए.

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