गाजियाबाद: गाजियाबाद के मोदीनगर के भोजपुर गांव में किसान महापंचायत को संबोधित करने पहुंचे रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने केंद्र और यूपी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि किसान को सरकार पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं है और अब देश भर का किसान एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई लड़ेगा. किसान महापंचायतों का दौर जारी रहेगा.
मोदीनगर में RLD उपाध्यक्ष की किसान महापंचायत
कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर गाजीपुर बॉर्डर समेत राजधानी दिल्ली के नई सीमाओं से शुरू हुए आंदोलन के बाद अब जहां एक तरफ राकेश टिकैत विभिन्न प्रदेशों में जाकर किसान महापंचायत कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियां भी महापंचायतों के माध्यम से अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को तलाशने की कवायद में जुटी हुई है.
राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गुरुवार को मोदीनगर के भोजपुर पहुंचे और किसान मजदूर महापंचायत को संबोधित किया. महापंचायत में आसपास के इलाकों के हजारों की संख्या में किसान मौजूद रहे. महापंचायत का मंच भी ट्रॉलियों को जोड़कर बनाया गया.
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गलतफहमी में न रहे सरकार: जयंत
जयंत चौधरी ने कहा सरकार गलतफहमी में न रहे कि किसान जातियों में बंटा हुआ है. देश का किसान अब एकजुट हो चुका है और अपने हक की आवाज बुलंद कर रहा है. देश में जब भी किसानों के आंदोलन सुलगे हैं तब-तब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने अहम भूमिका निभाई है. आज किसान एकजुट हुआ है तो सरकार पर दबाव पड़ना शुरू हो गया है.
उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठी सरकार आज देश के किसानों का विश्वास खो चुकी है. सरकारी आज किसान को कमजोर करने के लिए काम कर रही हैं आने वाले वक्त में देश की जनता ऐसी सरकारों का इलाज कर देंगी. जयंत चौधरी ने महापंचायत के समक्ष प्रस्ताव रखे जिस पर महापंचायत में मौजूद तमाम किसानों ने दोनों हाथ खड़े कर कर सहमति जताई.
ये हैं प्रस्ताव:-
*केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून असंवैधानिक हैं और किसान विरोधी हैं. तीनों कानूनों से छोटे बड़े किसान को किसी तरह का कोई फायदा नहीं होगा. हम सरकार से मांग करते हैं केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले. जल्द न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर कानून बनना चाहिए.
*250से अधिक किसानों ने दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के दौरान कुर्बानी दी है. देश की जनता कुर्बानी देने वाले किसानों को शहीद मानती है. सरकार आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों का संज्ञान ले और शहीद किसानों को शहीद का दर्ज दे. जिससे कि समाज में शहीद हुए किसान आदर्श बन सके और उन्हें इतिहास हमेशा याद रखे.