नई दिल्ली/नोएडा: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाने वाला नोएडा का जिला अस्पताल 600 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था, लेकिन इस अस्पताल का हाल ये है कि आए दिन किसी न किसी समस्या से घिरा ही रहता है. अस्पताल में फिलहाल सबसे बड़ी समस्या डॉक्टरों के अभाव की है, जिसके चलते यहां पर संविदा पर बाहर से डॉक्टर बुलाकर मरीज दिखाए जाते हैं. अस्पताल भले ही सरकारी है पर वहां तैनात ज्यादातर डॉक्टर और कर्मचारी प्राइवेट हैं, जिसके चलते मरीजों को बेहतर सुविधा नहीं मिल पाती है. मरीज अन्य अस्पतालों में जाकर महंगे इलाज कराने के लिए मजबूर होते हैं.
पूर्व सीएम मायावती का है ड्रीम प्रोजेक्ट
नोएडा का राजकीय जिला संयुक्त चिकित्सालय सेक्टर 30 में बना है. इस अस्पताल को उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है. इस अस्पताल को अगर देखा जाए तो ये सिर्फ नाम का जिला अस्पताल एक बिल्डिंग के रूप में खड़ा है. अस्पताल में दो साल से वेंटिलेटर मशीन एक कोने में धूल फांक रही है तो वहीं अस्पताल में मरीजों को देखने के लिए जो सरकारी डॉक्टर होने चाहिए वे नहीं हैं. उनकी जगह पर संविदा के डॉक्टर रखे गए हैं. मतलब ये कि अस्पताल तो सरकारी है पर वहां काम करने वाले डॉक्टर प्राइवेट हैं.
अस्पताल की है खस्ता हालत
इसके चलते मरीजों को बेहतर सुविधा नहीं मिल पाती, वहीं इस अस्पताल में 100 बेड की व्यवस्था है, लेकिन मरीजों की संख्या ज्यादा हो जाने पर अस्थाई बेड डालकर उन्हें भर्ती किया जाता है. इस समय जिला अस्पताल में सीएमएस के अनुसार 70 बेड अलग से डाले गए हैं, जिन पर वार्ड से बाहर मरीज गैलरी में सोने के लिए मजबूर हैं.