नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पर बीते एक साल से चल रहे किसान आंदोलन (Kisan Andolan) से काफी लोग परेशान हैं. लोगों ने रविवार को इसी के चलते गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) के पास अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा, जिसमें मांग की गई है कि जल्द से जल्द रास्ता खोला जाना चाहिए. इंदिरापुरम और आसपास के इलाकों के हजारों रेजिडेंट्स गाजीपुर बॉर्डर से कुछ दूरी पर स्थित, आम्रपाली सोसायटी (Amrapali Society) के बाहर एकत्रित हुए. सोशल मीडिया के माध्यम से भी रेजिडेंट्स ने किसानों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कही है. वहीं अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि उनकी बात को सरकार तक पहुंचा दिया जाएगा.
इंदिरापुरम और आसपास के इलाकों के लोग रविवार को बैनर-पोस्टर लेकर सोसायटी के बाहर खड़े हो गए. जहां से थोड़ी ही दूरी पर नेशनल हाईवे 9 (Nation Highway-9) दिखाई देता है. इन पोस्टर बैनर पर अलग-अलग बातें लिखी थी. पोस्टर पर लिखा था कि किसान चाचा हमने क्या बिगाड़ा है. हमें तो बस रास्ता खुलवाना है. इसलिए हम रास्ता खोलो आंदोलन शुरू कर रहे हैं. किसान भाइयों अब तो रास्ता खोल दो.
रास्ते को लेकर स्थानीय लोगों की किसानों से अपील ये भी पढ़ें-किसान आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल क्या बोले...वीडियो में सुनिए
रेजिडेंट्स ने बताया कि हम किसानों का ध्यान आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. हम यह बताना चाहते हैं कि अगर किसी को कोई इमरजेंसी होती है, तो रास्ता बंद है. ऐसे में आने जाने का रास्ता नहीं मिलता है. किसान आंदोलन (Kisan Andolan) की वजह से पिछले एक साल में काफी परेशानी हुई है. हालांकि हम यह कहते हैं कि हमें किसान आंदोलन से कोई परेशानी नहीं है. मगर रास्ता नहीं रुकना चाहिए.
हम यह बात किसानों तक सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं. हम यह सब कुछ शांतिपूर्ण रख रहे हैं. किसी को नुकसान पहुंचाना हमारा उद्देश्य नहीं है. हमारी मांग है बस रास्ता खोलना चाहिए.
ये भी पढ़ें-Farmers Protest: कोर कमेटी की बैठक खत्म, नहीं पहुंचे राकेश टिकैत, SKM की मीटिंग जारी
वहीं अपार्टमेंट ऑफ ऑनर एसोसिएशन (Apartment of owner Association) के पदाधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें नहीं पता कि रास्ता किसने बंद किया है, लेकिन हम बीते एक साल से परेशान हो रहे हैं. अगर हमें एयरपोर्ट या फिर रेलवे स्टेशन जाना हो तो मिनटों की जगह घंटों में समय लगता है. आखिर हम कब तक चुप रहें. इसलिए आज हमारा गुस्सा फूट रहा है. अब बर्दाश्त करने की इंतहा हो चुकी है. सरकार भी नहीं सुन रही है. अगर किसान वोट बैंक हैं तो सरकार को हमारी भी सुननी चाहिए क्योंकि सोसायटी के लोग भी वोट बैंक का ही हिस्सा है.
महिला निवासी का कहना है कि जब किसानों की मांगें सरकार ने मान ली है तो रास्ता खाली कर देना चाहिए. किसानों की अगर कोई मांग है तो उन्हें किसी रजिस्टर्ड जगह पर जाकर प्रदर्शन करना चाहिए. रास्ता नहीं रुकना चाहिए.