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गाजियाबाद: एटलस साइकिल फैक्ट्री बंद होने से मजदूरों पर संकट, देखिए ये रिपोर्ट

साइकिल बनाने वाली देश की जानी-मानी कंपनी एटलस ने गाजियाबाद में अपनी फैक्ट्री बंद होने के बाद मजदूरों को "लेऑफ" के लिए कहा है. इसका मतलब ये की अब मजदूरों की तनख्वाह आधी कर दी जाएगी. ऐसे में इस फैक्ट्री में काम कर रहे मजदूरों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

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Published : Jun 6, 2020, 4:08 AM IST

एटलस साइकिल फैक्ट्री बंद.
एटलस साइकिल फैक्ट्री बंद.

गाजियाबाद:एटलस साइकिल कंपनी ने जनपद के साहिबाबाद इंडस्ट्रियल एरिया में मौजूद अपनी फैक्ट्री को 3 दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया. इसके बाद अब कंपनी ने मजदूरों को "लेऑफ" पर भेज दिया है. इसका सीधा मतलब ये है कि, मजदूरों को रोज फैक्ट्री में अपनी हाजिरी लगानी होगी, लेकिन तनख्वाह आधी मिलेगी.

मजदूरों पर क्या बीत रही

देश की जानी-मानी एटलस साइकिल फैक्ट्री के बंद होने के बाद मजदूरों का दर्द जानने पहुंची ईटीवी भारत की टीम को यहां काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि, फैक्ट्री प्रबंधन ने उन्हें "लेऑफ" पर जाने के लिए कहा है. इसका मतलब है उनकी तनख्वाह आधी कर दी जाएगी. एक मजदूर ने बताया कि उसके तीन बच्चे हैं, और सैलरी 12 हजार रुपये है. आधी सैलरी के रूप में 6 हजार रुपये मिलेंगे. जिससे बच्चों की पढ़ाई और खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है. वहीं एक मजदूर ने बताया है कि अब आधी सैलरी के रूप में सिर्फ 4400 रुपये मिलेंगे. जिसमें से 2500 रुपये घर का किराया चला जाएगा.

अचानक बंद की गई फैक्ट्री

उधर, इस मामले में राजनीति भी गरमाई है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने मामले में ट्वीट करके सरकार से इस मामले में दखल देने और मजदूरों की मदद करने की मांग की है.


फैक्ट्री के बाहर आस में खड़े कर्मचारी

फैक्ट्री के बाहर कर्मचारी आस में खड़े हैं कि उन्हें इंसाफ मिल जाएगा. इस मामले में हमने जब उनसे बात की तो उनका कहना है कि आधी सैलरी से गुजारा नहीं चल पाएगा. 10 या 12 हजार तक की नौकरी करने वाले कर्मचारियों के सामने सबसे बड़ी मुश्किल है. इन्हीं में से कुछ मजदूर ऐसे हैं जिनके घर में 5 से ज्यादा सदस्य हैं और उनका पूरा गुजारा इसी तनख्वाह से चलता है. उनके सामने आर्थिक संकट गहरा जाएगा. एक मजदूर ने बताया कि पहले ही मई की सैलरी को लेकर भी समस्या उत्पन्न हुई थी. वहीं मामले में श्रम आयुक्त ने दखल दिया है. श्रमायुक्त ने मैनेजमेंट और मजदूरों को वार्ता के लिए बुलाया. जिसमें कहा गया है कि वह श्रमिकों के हित में फैसला लेने की कोशिश कर रहे हैं.

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