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गाजियाबाद: लॉकडाउन में रिक्शा चालक दो वक्त की रोटी को मोहताज

कोरोना संकट में लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. खासकर ऐसे लोगों की जो हर दिन कमाकर अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं. इसी क्रम में ईटीवी भारत की टीम ने जब रिक्शा चालकों से बात की तो उन्होंने अपनी समस्याएं बताईं.

रोटी के मोहताज हुए रिक्शा चालक
रोटी के मोहताज हुए रिक्शा चालक

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Published : May 10, 2020, 9:19 AM IST

गाजियाबाद: कोविड-19 वैश्विक महामारी को लेकर किए गए लॉकडाउन के चलते तमाम प्रकार के काम बंद हो चुके हैं. ऐसे में लोगों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. बात रिक्शा चालकों की करें तो लॉकडाउन में तमाम बाजार बंद हैं, जिसके चलते लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं और इस वजह से रिक्शा चालकों के रोजगार का साधन रिक्शा पूरी तरह से बंद हो गया है.

रोटी के मोहताज हुए रिक्शा चालक

ईटीवी भारत की टीम ने गाजियाबाद के नवयुग मार्केट चौराहे पर जाकर कुछ रिक्शा चालकों से बातचीत की. इसके साथ ही यह जानने की कोशिश की कि इस संकट की घड़ी में वह अपना गुजारा किस तरह से कर रहे हैं. रिक्शा चालकों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले उनके पास सवारियों की भरमार होती थी, लेकिन लॉकडाउन में इक्का-दुक्का सवारी ही मिल रही हैं. इस भीषण गर्मी में पूरा दिन सवारी का इंतजार करना पड़ता है. अगर दो-चार सवारी मिल गईं तब जाकर सौ-सवा सौ रुपये का इंतजाम होता है.

रिक्शा चालक सलीम ने बताया कि वो सड़क किनारे रहते हैं. लॉकडाउन के कारण तमाम होटल बंद हो चुके हैं. ऐसे में उन्हें बिस्किट खाकर और पानी पीकर ही सोना पड़ता है. हालांकि कभी-कभार कुछ सामाजिक संगठन आकर खाना बांट देते हैं तो पेट भर जाता है. जिले में अधिकतर रिक्शा चालक किराये का रिक्शा चलाते हैं. ऐसे में उन लोगों को रिक्शे का किराया भरने में भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि कमाई न होने के चलते रिक्शे का किराया नहीं निकल पा रहा है.

हालांकि गाजियाबाद जिला प्रशासन पूरा प्रयास कर रहा है कि जिले में कोई भी असंगठित क्षेत्र का मजदूर भूखा न सोए. इसलिए विभिन्न समाजिक संस्थाओं द्वारा भी शहर के अलग-अलग स्थानों पर खाना बांटा जा रहा है.

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