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मूर्तिकार राम सुतार बनाएंगे पूर्व PM अटल बिहारी की 'अटल' प्रतिमा - अटल मू्र्ति कांसा

मूर्तिकार अनिल राम सुतार पूर्व PM अटल बिहारी की 'अटल' प्रतिमा बनाएंगे. उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री के वेश-भूषा, अभिवादन करते वक्त भाव-भंगिमाएं, बात करते वक्त हाथ की पोजीशन, स्वभाव, धोती पहनने का स्टाइल, कुर्ते का ढंग और खादी जैकेट में पड़ने वाली सिलवटे सभी बातों का ख्याल रखकर मूर्ति तैयार की जाएगी.

मूर्तिकार राम सुतार बनाएंगे पूर्व PM अटल बिहारी की 'अटल' प्रतिमा'
मूर्तिकार राम सुतार बनाएंगे पूर्व PM अटल बिहारी की 'अटल' प्रतिमा'

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Published : Sep 28, 2020, 8:47 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 'अटल' प्रतिमा शिमला में लगाई जाएगी. पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा सुप्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार बनाएंगे. मूर्ति 9 फीट की और ब्रॉन्ज (कांसा) धातु से बनाई जाएगी. प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार के पुत्र अनिल राम सुतार ने जानकारी देते हुए बताया कि मूर्ति को अगले महीने तक तैयार करके हिमाचल सरकार को सुपुर्द कर दिया जाएगा.

मूर्तिकार राम सुतार से बातचीत

'कांसे से होगी तैयार 9 फीट की मूर्ति'

मूर्तिकार अनिल राम सुतार ने बताया कि मूर्ति 9 फीट की बनकर तैयार होगी और शिमला के मॉल में लगेगी. उन्होंने बताया कि मूर्ति अक्टूबर महीने के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगी. मूर्ति ब्रॉन्ज मटेरियल से बनकर तैयार होगी. ब्रॉन्ज मैटेरियल यानी कांसे की खासियत यह है कि हजारों साल तक इसमें जंग नहीं लगती है. ब्रॉन्ज धातु की मूर्ति मोहनजोदड़ो के समय में भी बनती थी.

'पूर्व PM का हसमुख स्वभाव झलकेगा'

मूर्तिकार अनिल राम सुतार ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री की वेश-भूषा, अभिवादन करते वक्त भाव-भंगिमाएं, बात करते वक्त हाथ की पोजीशन, स्वभाव, धोती पहनने का स्टाइल, कुर्ते का ढंग, खादी जैकेट में पड़ने वाली सिलवटे सभी बातों का ख्याल रखकर मूर्ति तैयार की जाएगी.

'पिताजी को शॉल पहनाकर किया सम्मानित'

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ के पल याद करते हुए उन्होंने बताया कि वे उनके पिता राम सुतार को बहुत पसंद करते थे. काम के प्रति उनकी लग्न से पूर्व पीएम बेहद प्रसन्न रहते थे. उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री दिल्ली के शहीद पार्क का उद्घाटन करने पहुंचे थे. पिताजी के पास कोई इनविटेशन कार्ड नहीं था. ऐसे में सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें गेट के बाहर ही रोक दिया था. वहां पर लगी मूर्तियों को पिताजी ने बनाया था, लेकिन जब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्टेज पर पहुंचकर पिताजी का नाम पुकारा, तो सुरक्षाकर्मी उन्हें स्टेज पर लेकर गए. जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उन्हें शॉल पहनाकर सम्मानित किया.

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