नई दिल्ली: राजधानी में भयावह प्रदूषण की वजह से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है, वहीं दूसरी तरफ एनसीआर की हवा में भी जहर घुलता जा रहा है. एयर क्वालिटी इंडेक्स में पीएम 2.5 का स्तर 500 के पार पहुंच गया है, जिससे स्थिति बेहद खराब और आपातकाल वाली हो गई है.
नोएडा में सांसों का आपातकाल. एनवायरमेंटल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने गाइडलाइन जारी करते हुए 4 नवंबर तक सभी तरीके के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है. साथ ही पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी लागू कर दी है.
'सांस लेने में हो रही समस्या'
स्थानीय निवासी सुरेश बताते हैं कि प्रदूषण की वजह से उनकी और परिवार की तबीयत बिगड़ी है. सांस लेने में समस्या शुरू हो गई है, ऐसे में बचाव के लिए लोग मास्क लगाकर निकल रहे हैं.
'मॉर्निंग वॉक लाभदायक नहीं हानिकारक'
स्थानीय निवासी विशेश्वरी ने बताया कि दिन भर सूरज की रोशनी देखने को नहीं मिली है. स्थिति बद से बद्तर हो गई है, मरीज़ों की संख्या बढ़ती जा रही है. मॉर्निंग वॉक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती थी, लेकिन ऐसे में मॉर्निंग वॉक हानिकारक हो गई है.
छाया बताती हैं कि सुबह से आंखों में जलन है और गले में खराश महसूस हो रही है. मज़बूरी में घरों से निकलना पड़ रहा है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि टॉप टेन प्रदूषित शहरों में 8 एशियाई देश में है जबकि दो यूरोपीय शहर भी शामिल है. नई सूची में भारत और चीन के दो शहर शामिल हैं. नोएडा की आबोहवा जहरीली हो चुकी है, जिसे कंट्रोल करने के लिए प्रशासन और सरकार लगातार ठोस कदम उठा रही है और ईपीसीए गाइडलाइंस जारी कर दी गई है.