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नोएडा सेक्टर 77 के सोसायटी में भूजल के अवैध दोहन पर NGT ने मांगी रिपोर्ट - नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल

नोएडा के सेक्टर 77 में एक सोसायटी के बिल्डर के खिलाफ याचिका दायर की गई, जिस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक कमेटी का गठन किया है.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल.

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Published : Sep 21, 2019, 10:36 AM IST

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के सेक्टर 77 स्थित अंतरिक्ष कानबाल सोसायटी के बिल्डर पर आरोप है कि उसने अवैध रूप से भूजल का दोहन किया. साथ ही बिना ट्रीट किए हुए सीवेज के पानी को ग्रीन बेल्ट में डाला, जिसके खिलाफ शिकायत पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक कमेटी का गठन किया है.

एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2 दिसंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. एनजीटी ने इस कमेटी में नोएडा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि को शामिल किया है.

25 अगस्त 2010 को याचिका दायर की गई
अंतरिक्ष कानबाल सोसायटी का बिल्डर परफेक्ट प्रोबिल्ड प्राईवेट लिमिटेड है. सोसायटी के निवासियों की ओर से वकील सालिक शफीक ने याचिका दायर कर कहा कि बिल्डर ने 25 अगस्त 2010 को नोएडा अथॉरिटी से रिहायशी कांप्लेक्स बनाने के लिए स्वीकृति हासिल की थी. इस सोसायटी में 560 फ्लैट्स बनने थे. उसके बाद 7 अक्टूबर 2011 को उत्तर प्रदेश स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी ने कांप्लेक्स बनाने के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस दिया. इस एनवायरमेंट क्लियरेंस में पर्यावरण नियमों का पालन करने और अपशिष्ट जल को नाले में बहाने और सीवेज के पानी का शोधन कर उनका दोबारा इस्तेमाल करने को लेकर शर्तें लगाई गई थीं.

जानें याचिका में क्या कहा गया
याचिका में कहा गया है कि जब ये सोसायटी बनकर तैयार हो गई तो इसके फ्लैट खरीददार मार्च 2015 से उसमें रहने लगे. 2019 तक उस सोसायटी में करीब 450 परिवार रहने लगे. लेकिन बिल्डर ने नोएडा अथॉरिटी से पानी का कनेक्शन तक नहीं लिया और सोसायटी में दो अवैध बोरवेल के जरिये पानी की सप्लाई करने लगा. बिल्डर ने इन दो बोरवेल के लिए केंद्रीय भूजल अथॉरिटी से अनुमति भी नहीं ली थी.

याचिका में कहा गया है कि चिमनी नहीं लगे होने की वजह से डीजल जेनरेटर का धुंआ सीधे घरों में पहुंचता है, जिससे बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंच रहा है. इन सभी समस्याओं को लेकर सोसायटी के निवासियों ने धरना-प्रदर्शन के अलावा प्राधिकरण से शिकायत की थी, लेकिन किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया गया. जिसके बाद इन निवासियों ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया है.

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