नई दिल्ली: 42 हजार करोड़ के बाइक बोट घोटाले में एक अन्य निदेशक को आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी की पहचान सचिन भाटी के रूप में की गई है. इससे पहले 15 निदेशकों को आर्थिक अपराध शाखा गिरफ्तार कर चुकी है.
दिल्ली के 8 हजार लोगों से हुई थी 250 करोड़ की ठगी
संयुक्त आयुक्त ओपी मिश्रा के अनुसार, कई लोगों ने संजय भाटी एवं गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज की थी. गौतमबुद्ध नगर स्थित इस कंपनी के निदेशक एवं सीएमडी पर उन्होंने ठगी का आरोप लगाया था. लगभग 42,000 करोड़ रुपए की ठगी का यह मामला बताया गया था. इस शिकायत पर मामला दर्ज कर ईओडब्ल्यू ने जांच शुरु की. जांच के दौरान पता चला कि करीब आठ हजार शिकायतकर्ता अकेले दिल्ली के हैं. इनसे 250 करोड़ से ज्यादा की ठगी हुई है.
कई राज्यों में किया 42 हजार करोड़ का घोटाला
ईओडब्ल्यू को जांच में पता चला कि कंपनी ने कई बैंक में अपने खाते खोल कर रखे हुए हैं और वह आरबीआई से बतौर एनबीएफसी रजिस्टर्ड नहीं हैं. कंपनी को अधिकार नहीं था कि वह लोगों से रुपए एकत्रित कर सके. उसने अवैध तरीके से लोगों से हजारों करोड़ रुपए इकठ्ठे किए. उन्हें पता चला कि लखनऊ के ईडी शाखा द्वारा भी इस मामले की जांच की जा रही है. यूपी समेत कई राज्यों में कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज है. आरोपियों ने करीब 42 हजार करोड़ कर घोटाले को अंजाम दिया है.
16वें निदेशक को किया गया गिरफ्तार
इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने 15 निदेशकों को गिरफ्तार कर लिया था. आगे छानबीन के दौरान 16वें निदेशक सचिन भाटी को गिरफ्तार कर लिया है. वह गौतमबुद्ध नगर में दर्ज एक मामले में न्यायिक हिरासत में था. अदालत से अनुमति के बाद उसकी गिरफ्तारी की गई है. बीते नवंबर महीने में इस घोटाले के 7 आरोपियों को आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था.
क्या था बाइक बोट घोटाला?
कंपनी ने लोगों से कहा कि वह 62,000 रुपये एक बाइक के लिए कंपनी में जमा कराएं. इससे उन्हें एक साल तक 9500 रुपए प्रत्येक महीना आमदनी मिलेगी. इस तरह से उन्हें एक साल में लगभग दोगुनी रकम वापस मिल जाएगी. हजारों लोगों ने इसमें रुपए लगाए. जनवरी 2019 में कंपनी ने इलेक्ट्रिक बाइक स्कीम निकाली. उन्होंने लोगों से बाइक के लिए 1.24 लाख रुपए जमा कराने के लिए कहा. उन्हें बताया गया कि एक साल तक उन्हें प्रत्येक महीना 17 हजार रुपये मिलेंगे. उन्होंने कुछ लोगों को रुपए भी दिए जिससे उनमें विश्वास जगा. बड़ी संख्या में लोगों ने जब रुपए जमा करा दिए तो यह कंपनी एवं उसके अधिकारी फरार हो गए.