फिरोजाबाद:चूड़ियां बेशक महिलाओं के सौंदर्य में चार चांद लगाती हो, लेकिन इन चूड़ियों को बनाने वाले कारीगरों का दर्द किसी से छिपा नहीं है. कारखाने में चूड़ियां बनाने वाले अधिकांश मजदूर टीबी रोग के शिकार हो जाते हैं. फिरोजाबाद में क्षय रोग से पीड़ित लोगों की फेहरिस्त लंबी है. इनमें से ज्यादातर लोग चूड़ी के कामगार हैं. डॉक्टर भी मानते है कि कारखाने में धुंए के छोटे-छोटे कण सांस के जरिये मजदूरों के अंदर चले जाते हैं और यही क्षय रोग का कारण बनते हैं.
'सुहाग नगरी' के नाम से मशहूर है फिरोजाबाद
फिरोजाबाद में चूड़ियां का उत्पादन होने से इसे 'सुहाग नगरी' के नाम से जाना जाता है. शहर में करीब 200 कारखानों में चूड़ियों का उत्पादन होता है. इससे 4 लाख लोगों का घर चलता है. शहर ही नहीं, बल्कि देहात में भी घर-घर में चूड़ियां बनाने का काम होता है. इसमें चूड़ियों की जुड़ाई, झलाई का काम होता है. इस काम में केरोसिन (मिट्टी का तेल) का प्रयोग होता है. केरोसिन के जलने से जो धुंआ निकलता है, वह मजदूरों में क्षय रोग का कारण बनता है.
फेफड़ों में मिले धब्बे
टीबी अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज प्रमोद बताते हैं कि वह पहले चूड़ी के कारखाने में काम करते थे. उस दौरान उन्हे खांसी हुई और बुखार आने के साथ सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी. इसके बाद प्रमोद ने अस्पताल में एक्सरे करवाया. इसमें पता चला कि उसके फेफड़ों में धब्बे आ गए हैं और डॉक्टरों ने टीबी बताकर प्रमोद को अस्पताल में भर्ती कर लिया.