फिरोजाबाद:कोरोनाकाल में कम हुई चूड़ियों की खनक अभी लौटी भी नहीं थी कि डीजल की बढ़ती कीमतों ने इस कारोबार को जोर का झटका दिया है. डीजल के दाम बढ़ने से जहां ट्रांसपोर्टर भाड़ा बढ़ाने के लिए कारोबारियों पर दवाब डाल रहे हैं, वहीं चूड़ी कारोबारियों की अपनी मजबूरी है. कारोबारी अगर ज्यादा भाड़ा देने के लिए तैयार हो जाते हैं तो मजबूरन चूड़ियों का भी रेट बढ़ाना पड़ेगा, लेकिन बढ़े रेट पर ग्राहक चूड़ियों को खरीदने के लिए तैयार नहीं है. ट्रांसपोर्टर और व्यापारियों के बीच चल रही खींचतान के कारण गोदामों में माल भरा पड़ा है
कोविड की पहली लहर में इस कारोबार को जोर का झटका लगा. कारोबारियों के सामने कई तरह के संकट भी आए. लहर कम हुयी तो कारोबार की गाड़ी पटरी पर आना शुरू हुई, लेकिन कोविड की दूसरी लहर ने इस कारोबार की कमर तोड़ कर ही रख दी. कोविड की दूसरी लहर कम होते ही कारोबार की छूट मिली तो अब डीजल की बढ़ी कीमतों ने इस कारोबार को जोर का झटका दिया है.
डीजल की दरें 90 से 95 रुपये प्रति लीटर के आसपास हैं. ऐसे में ट्रांसपोर्ट कारोबारियों के सामने भाड़ा बढ़ाने के अलावा कोई और चारा नहीं है. इन सबके बीच चूडी कारोबारी भाड़ा बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हैं. इसकी वजह यह है कि अगर चूडी कारोबारी बढ़ा हुआ भाड़ा देने को तैयार हो जाते हैं तो मजबूरन उन्हें चूड़ियों की कीमत बढ़ानी पड़ेगी, लेकिन खरीदार बढ़ी कीमत पर चूड़ियां खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं.