फ़िरोज़ाबाद :जनपद में फैले वायरल फीवर और डेंगू महामारी के बीच जहां एक ओर झोलाछापों की चांदी काट रही है, वहीं कुछ लोग धड़ल्ले से बिना पंजीयन के पैथोलॉजी का संचालन कर रहे हैं. इन पैथोलॉजी पर न तो कोई डॉक्टर है और न ही टेक्निकल स्टाफ. अप्रशिक्षित लोग सुरक्षा व स्वास्थय मानकों को ताक पर रख मरीजों के सैंपल आदि इकट्ठा कर रहे हैं. ऐसे में मरीजों की जान के साथ सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है और प्रशासन अपनी आंखें मूंदे हुए है.
फिरोजाबाद में बीते डेढ़ माह से डेंगू और वायरल फीवर ने हाहाकार मचा रखा है. शहरी इलाका हो या देहाती क्षेत्र, सभी जगहों पर यह महामारी फैली हुई है. इससे कितने ही लोग असमय अपनी जान गवां चुके हैं. कई लोग गंभीर रूप से बीमार हैं. स्वास्थ विभाग ने खुद यह दावा किया कि डेंगू महामारी से 63 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में 15 साल से कम उम्र के बालकों की संख्या अधिक है.
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक जिले में करीब साढ़े चार हजार लोग डेंगू से पीड़ित हैं. फ़िरोज़ाबाद में हजारों लोग डेंगू से प्रभावित हुए हैं. यह तो सरकारी आंकड़ा है. बताया जाता है कि वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग मरीजों का इलाज भी ठीक से नहीं कर पा रहा है. जो पैसे वाले हैं, वह बड़े अस्पतालों में अपना इलाज करा रहें हैं जबकि गरीब तबके के लोगों को झोलाछाप की शरण में जाना पड़ रहा है.
सावधान जिले में हैं अपंजीकृत पैथोलॉजी की भरमार, ख़ामोश है स्वास्थ्य महकमा यह भी पढ़ें :CM योगी की यूपी पुलिस को नसीहत, समय पर सही जानकारी दें तो नहीं बनेंगे खलनायक
पिछले दिनों जिले के देहाती इलाकों में एक झोलाछाप के पेड़ के नीचे मरीज को लिटाकर उसपर बोतल चढ़ाने की खबर दिखाई गई थी. अब इसी ढर्रे पर कुछ पैथोलॉजी का नाम भी सामने आ रहा है. जिले के विभिन्न हिस्सों में तमाम ऐसी पैथोलॉजी खुल गईं हैं जिनके पास न तो कोई डॉक्टर है और न ही कोई टेक्निकल स्टाफ.
इस बाबत ETV Bharat ने एक मरीज के तीमारदार से बात की. उसने बताया कि जब शिकोहाबाद की एक पैथोलॉजी पर ब्लड की जांच कराई गयी तो मरीज की प्लेटलेट्स 69 हजार थी जबकि उसी दिन उस मरीज की आगरा में जब जांच कराई गई तो मरीज की प्लेटलेट्स एक लाख 10 हजार थीं. जाहिर है पैथोलॉजी की जांच में कहीं न कहीं गड़बड़ी जरूर है.
एक पैथोलॉजी संचालक से भी बात की गई तो पता चला कि उनके पास कोई डिग्री नहीं है, न ही उसके पास पैथोलॉजी संचालन का कोई लाइसेंस था. इस संबंध में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार प्रेमी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पैथोलॉजी खोलने के लिए निश्चित गाइडलाइन है. इसके तहत ब्लड बैंक में प्रशिक्षित डॉक्टर का भी होना जरूरी है.
अगर बिना डॉक्टर के भी पैथलॉजी चल रही है तो निश्चित तौर पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि डेंगू महामारी के दौर में डॉक्टरों द्वारा इलाज करने से पहले मरीज की जांच करायी जाती है. उसी का फायदा उठाते हुए ऐसी तमाम पैथोलॉजी खुल गईं हैं जो रजिस्टर्ड नहीं है. कई पैथोलॉजी तो ऐसी हैं जो झोलाछाप के भरोसे चल रहीं हैं.