फिरोजाबादःउत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण के साथ-साथ ठंडे मौसम की मार भी शुरू हो चुकी है. ऐसे में फसलों का बर्बाद होना आम हो गया है. जिस वजह से किसानों के सामने रोटी रोजी का संकट खड़ा हो जाता है. किसानों के ऐसे ही नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा शुरू की थी, लेकिन यूपी के फिरोजाबाद जिले में इस योजना का बुरा हाल है. जिले में ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 10 फीसदी किसानों तक भी अपनी पहुंच नहीं बना सका है.
किसान को खराब फसलों का मुआवजा बीमा कंपनियों से मिल सके इसे लेकर साल 2016 में सरकार ने प्रधानमंत्री बीमा फसल योजना की शुरुआत की थी. इसके लिए सरकार द्वारा नामित कंपनी किसानों की फसल का बीमा करती है. किसान उसका वार्षिक प्रीमियम भी भरते हैं. अगर किसी किसान की फसल बर्बाद हो जाती है तो बीमा कंपनी उसकी भरपाई करती है.
फिरोजाबादः परवान नहीं चढ़ सकी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों ने कहा- 'हमें इसकी कोई जानकारी नहीं' - प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ
उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण के साथ-साथ मौसम की मार से बर्बाद हो रही किसानों की फसलें. फिरोजाबाद में महज 10 फीसदी किसानों तक भी अपनी पहुंच नहीं बना सका प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना. जिला कृषि अधिकारी ने कहा जब से बीमा को किया गया ऐच्छिक तब से कम संख्या में करा रहे किसान.
जिले में एक लाख 20 हजार हेक्टेयर में रबी की फसल उगाई जाती है. इसी तरह जिले में एक लाख 10 हजार हेक्टेयर भूमि में खरीफ की फसल उगाई जाती है. दोनों ही सीजन में गेंहू, आलू, बाजरा, धान और मिर्च की फसल उगायी जाती है. किसानों की संख्या इतनी अधिक होने के बाद भी इस जिले में लगभग 20 हजार किसानों ने ही अपनी फसल का बीमा कराया है.
ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर किसानों से बात की और जानने की कोशिश की कि आखिर वह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ क्यों नहीं ले रहे हैं तो ज्यादातर किसानों का कहना था कि उन्हें इसकी कोई जानकारी ही नहीं है. इसके पीछे बहुत बड़ी वजह इस योजना को लेकर किसानों की सुस्ती और उसके लिए जागरूक नहीं होना है. वहीं कृषि विभाग ने इनको जागरूक करने का जिम्मा बीमा कंपनियों पर छोड़कर अपने हाथ खड़े कर दिए है.
जिला कृषि अधिकारी का कहना है कि जो बीमा एजेंसी है उसका काम है कि वह किसानों के बीच जाए और उन्हें फसल बीमा के लिए मोटिवेट करे. उन्होंने बताया कि जब से इस बीमा को ऐच्छिक कर दिया गया है तब से किसान कम संख्या में इसे करा रहे है. विभाग समय-समय पर आयोजित होने वाली विभिन्न गोष्ठियों के जरिये किसानों को इसके फायदे बताता है.
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