फिरोजाबाद: जिले में 5 साल पहले करीब 27 करोड़ रुपये की लागत से बना मेडिकल कॉलेज का ट्रामा सेंटर मरीजों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका है. इस ट्रामा सेंटर में गंभीर रूप से जो घायल अपना इलाज कराने आते हैं उन्हें आगरा रेफर कर दिया जाता है. इसलिए इस ट्रामा सेंटर को अब रेफर सेंटर भी कहने लगे हैं. ट्रामा सेंटर से ऐसी शिकायतें आए दिन आती रहती हैं, बावजूद इसके न तो यहां डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जा रही है और न ही ट्रामा सेंटर में जो जरूरी संसाधन होते हैं उनमें किसी तरह का इजाफा किया जा रहा है.
इस ट्रामा सेंटर में महज एक ही डॉक्टर तैनात है, जबकि जरूरत के हिसाब से यहां छह डॉक्टर तैनात होने चाहिए. जिनमें सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ, निश्चेतक, और रेडियोलॉजिस्ट शामिल है. यह बात अलग है कि खुद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक इस मामले में यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
स्वास्थ्य सेवाओं में और अधिक सुधार हो सके और गरीबों को सस्ता इलाज मिल सके इसके लिए सरकार के द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी सिलसिले में फिरोजाबाद के जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में परिवर्तित कर दिया गया है. यहां पर एक ट्रामा सेंटर भी स्थापित किया गया है, जिसमें इमरजेंसी संचालित होती है. ट्रामा सेंटर का निर्माण वर्ष 2016 में करीब 27 करोड़ की लागत से समाजवादी पार्टी की सरकार में हुआ था, लेकिन काफी समय तक इसमें किसी डॉक्टर की तैनाती नहीं हुई. परिणाम यह हुआ कि इस बिल्डिंग में जिला अस्पताल की इमरजेंसी यहां पर चालू की गई. एक लंबा समय बीतने के बावजूद अभी तक यहां पर ऐसी कोई सुविधा नहीं है, जो ट्रामा सेंटर में होती है. न तो यहां पर कोई सर्जन है और न ही कोई हड्डी रोग विशेषज्ञ. परिणाम यह होता है कि जब भी कोई गंभीर पेशेंट यहां जाता है, तो यहां के चिकित्सकों के पास उन्हें आगरा रेफर करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं सूझता है.