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होमवर्क के बहाने 10 साल के छात्र से कुकर्म करने के दोषी शिक्षक को 11 साल कैद की सजा

विशेष पॉस्को कोर्ट ने छात्र के साथ कुकर्म के दोषी शिक्षक को 11 साल की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

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Published : May 12, 2023, 10:00 PM IST

फिरोजाबादः जनपद की विशेष पॉस्को कोर्ट ने छात्र के साथ कुकर्म के आरोपी एक शिक्षक को दोषी करार देते हुए उसे 11 साल की सजा सुनाई है.अदालत ने दोष सिध्द आरोपी पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना न देने पर आरोपी को 2 साल की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी पडेगी.

इस चर्चित मामले में आरोपी शिक्षक पर यह आरोप लगा था कि उसने योजनाबद्ध तरीके से 10 साल के छात्र को होमवर्क के बहाने घर पर बुलाया था और उसके साथ कुकर्म किया था. फैसला सुनाते समय अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए इसे गंभीर और घृणित अपराध बताते हुए अभियुक्त के खिलाफ नरमी बरतने से साफ इनकार कर दिया.

अभियोजन पक्ष के अनुसार यह घटना 22 जून 2018 की है. कालोनी निवासी एक व्यक्ति ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करायी थी. उसके मुताबिक 10 वर्षीय एक बालक जो कक्षा पांच का छात्र था. स्कूल प्रबंधक योगेश कुमार तथा अध्यापक मधुसूदन दास शुक्ला 20 जून 2018 को बालक के घर पहुंचे. उन्होंने बालक के पिता से कहा कि बच्चे का होमवर्क पूरा बाकी है, उसे कमरे पर भेज देना. उसका होमवर्क पूरा करा देंगे.

पिता ने बेटे को शिक्षक मधुसूदन दास के कमरे पर भेज दिया. वहां शिक्षक ने बालक के साथ कुकर्म किया साथ ही उसे धमकाया भी. बाद में बालक डर के कारण काफी समय स्कूल नहीं गया. परिवारी जनों ने पूछताछ की तब बालक ने आपबीती परिवारीजनों को बताई. पिता ने शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. मुकदमा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 1 विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अवधेश कुमार सिंह की अदालत में चला.

अभियोजन पक्ष की तरफ से मुकदमे की पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक अवधेश भारद्वाज ने बताया कि मुकदमे के दौरान कई गवाहों ने गवाही दी. कई साक्ष्य न्यायालय के सामने प्रस्तुत किए गए. गवाहों की गवाही तथा साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने मधुसूदन दास को दोषी माना. न्यायालय ने उसे 11 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई. उस पर 30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. कोर्ट ने अर्थदंड की आधी राशि पीड़ित को देने के आदेश दिए.

अर्थदंड न देने पर आरोपी को 2 वर्ष के अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी होगी. कोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए लिखा है कि 'अभियुक्त जो एक शिक्षक है,के द्वारा पीड़ित जिसकी उम्र मात्र 10 बर्ष है,को अपने घर होमवर्क के पूरा कराने के बहाने से बुलाया और उसके साथ सामाजिक दृष्टि से प्रकृति की व्यवस्था के विपरीत स्वेच्छया इन्द्रीयभोग कारित करने जैसा बहुत ही गंभीर और घृणित अपराध कारित किया गया है जबकि एक शिक्षक का दायित्व होता है कि वह बच्चों को अच्छे रास्ते पर चलने और अच्छी शिक्षा दे. अभियुक्त द्वारा न केवल शिक्षक के दायित्व को तार-तार किया गया बल्कि बहाने से अपने एकांत कमरे में बुलाकर अपनी काम पिपासा शान्त की गई है.ऐसी दशा में अभियुक्त के विरुद्ध नरमी बरते जाने का कोई औचित्य नहीं है.

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