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कोर्ट ने दो पुलिसकर्मियों को सुनाई कारावास की सजा, किया था ये गलत काम

फिरोजाबाद के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार आजाद ने 1254 जिन्दा अवैध कारतूस बरामद होने के आरोप में दो पुलिसकर्मियों को दस-दस वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई. साथ ही प्रत्येक को उन्नीस हजार रुपये जुर्माने की सजा से भी दण्डित किया गया. जुर्माना अदा न करने पर प्रत्येक को दस माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.

फिरोजाबाद में पुलिसकर्मियों को कारावास की सजा .
फिरोजाबाद में पुलिसकर्मियों को कारावास की सजा .

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Published : Feb 27, 2021, 7:53 PM IST

फिरोजाबाद: जिला अदालत ने दो पुलिसकर्मियों को 10-10 साल की सजा सुनाई है. इन पुलिसकर्मियों को साल 2006 में सरकारी कारतूसों के साथ गिरफ्तार किया गया था. अदालत ने इन पर 19-19 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना न देने पर 10-10 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. इन पुलिसकर्मियों के पास से 1254 जिंदा कारतूस बरामद हुए थे. इसी आरोप में इन्हें जेल भेजा गया था. हालांकि अवर न्यायालय ने पहले दोनों को बरी कर दिया था, लेकिन सत्र न्यायालय ने अवर न्यायालय के फैसले को बदलते हुए दोनों आरोपी पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है.

एके-47 के कारतूस हुए थे बरामद

मामला जीआरपी टूंडला से जुड़ा है. 28 जनवरी 2006 को जीआरपी टूंडला पुलिस ने एक पुलिसकर्मी लोकपाल सिंह यादव निवासी महरारा थाना सहपऊ जिला हाथरस के कब्जे से एसएलआर के 714 जिंदा कारतूस बरामद किए थे. लोकपाल का एक साथी सिपाही जय किशोर फरार हो गया था. उसके थैले से 303 बोर के 416 कारतूस, 9MM के 120 कारतूस तथा एके-47 के चार कारतूस बरामद हुए थे.

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सीजेएम न्यायालय से बरी हुए थे दोनों सिपाही

पुलिस ने दोनों सिपाहियों को जेल भेजा था और जांच के बाद दोनों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया. मुकदमे की सुनवाई सीजेएम न्यायालय में हुई. अदालत ने अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए 28 नवंबर 2016 को दोष मुक्त कर दिया था. अवर न्यायालय के फैसले के खिलाफ सरकार की तरफ से सत्र न्यायालय में पुन: सुनवाई की अपील की गई. लिहाजा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 7 न्यायाधीश विजय कुमार आजाद ने मामले की सुनवाई की. इस दौरान शासकीय अधिवक्ता प्रिय प्रताप सिंह ने दलीलें न्यायालय के समक्ष रखते हुए आरोपी सिपाहियों को सजा सुनाने की अदालत से दरख्वास्त की. अदालत ने पत्रावली का अध्ययन करने और गवाहों के तर्क सुनने के बाद दोनों पुलिसकर्मियों को 10-10 साल के कारावास की सजा सुनाई.

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