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Firozabad Cattle Catcher: सड़कों और खेतों में नहीं दिखेंगे आवारा गोवंश, जानिए प्रशासन की क्या है रणनीति - फिरोजाबाद मुख्य जिला पशु चिकित्सा अधिकारी

फिरोजाबाद में किसानों और राहगीरों की सुरक्षा के लिए जनपद में कैटल कैचर (Firozabad Cattle Catcher) अभियान चलाया गया है. इस अभियान में 1700 गोवंशों को पकड़ने का लक्ष्य रखा गया है.

. पशुपालन विभाग कैटल कैचर
. पशुपालन विभाग कैटल कैचर

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Published : Mar 10, 2023, 8:39 PM IST

फिरोजाबाद:जनपद में आवारा पशु न केवल किसानों के लिए बल्कि राहगीरों के लिए भी मुसीबत बने हुए हैं. इन आवारा पशुओं की चपेट में आकर कई लोगों ने अपनी जान गंवा चुके हैं. इसके साथ ही गोवंश फसलों की बर्बादी का कारण भी बने हुए हैं. यूपी सरकार के निर्देश पर इन आवारा गोवंशों को पकड़कर गौशाला भेजने का काम किया जा रहा है.

किसानों के फसलों और राहगीरों की सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार एक मार्च से 31 मार्च तक पशुओं को पकड़ने के लिए कैटल कैचर अभियान चला रही है. पशुपालन विभाग कैटल कैचर के जरिए इन पशुओं को पकड़ कर गोशालाओं में भेजेगा. इस दौरान फिरोजाबाद में पशु विभाग द्वारा 1700 पशुओं को पकड़कर गोशालाओं में भिजवाने का लक्ष्य रखा गया है.

मुख्य जिला पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. जितेंद्र कुमार के मुताबिक फिरोजाबाद में 40 से ज्यादा गोशालाओं संचालित की जा रही हैं. इन गोशालाओं में 6500 गोवंशों को संरक्षित किया गया है. जबकि जनपद में कुल आवारा पशुओं की संख्या 9000 के लगभग है. जो अन्य पशु सड़कों पर विचरण कर रहे हैं, उनको पकड़ने के लिए 31 मार्च तक कैटल कैचर विशेष अभियान चलाया जा रहा है. पशु चिकित्सा ने बताया कि इस अभियान के तहत 10 मार्च तक 700 पशुओं को पकड़ कर उन्हें विभिन्न गोशालाओं में संरक्षित किया जा चुका है. इसके साथ ही अन्य पशुओं को कैटल कैचर के जरिये पकड़कर जल्द की गोशालाओं में भेजा जायेगा. जिससे किसानों को राहत मिल सके.

बता दें कि यूपी में गौ हत्या प्रतिबंधित है. इसकी तस्करी पर भी रोक लगी है. यही वजह है कि यहां पर आवारा गोवंशों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. यहां लोग दूध न देने वाली गायों को आवारा छोड़ देते हैं. फिरोजाबाद में आवारा गोवंशों से परेशान किसान रात में अपने फसलों की रखवाली करने को मजबूर हैं. बीते 6 माह में 10 से ज्यादा लोगों की मौत आवारा पशुओं की वजह से हो चुकी है. यहां आवारा पशुओं की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि गौशालाएं भी कम पड़ गई हैं.

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