फिरोजाबाद:यूपी के फिरोजाबाद जिले में जलेसर रोड़ पर औधोगिक हब बनाने की कोशिश परवान नहीं चढ़ सकी. करीब 20 साल बीत जाने के बाद भी यहां उम्मीद के मुताबिक कारखाने नहीं लग सके. यहां जिस जमीन पर कारखाने स्थापित होने थे, वहां बबूल के पेड़ उग आए हैं. पूरा परिसर पशुओं का चरागाह बन गया है. यहां जो सड़कें बनायी गयीं थी वह भी काफी जर्जर हो चुकी है. मूलभूत सुविधाओं का अभाव और टीटीजेड में नई इंडस्ट्री का न लगना और उसकी शिफ्टिंग पर रोक इसके औधोगिक हब बनने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है.
बताते चलें कि यूपी का फिरोजाबाद जनपद सुहाग नगरी और कांच की नगरी के नाम से देश भर में जाना जाता है. यहां की चूड़ियों की खनक जहां देश भर में सुनाई पड़ती है. वहीं यहां से कांच के जिस समान का निर्यात होता है उसकी खनक को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भी सुनाई देती है. यहां की इंडस्ट्री को और अधिक पंख लग सकें इसके लिए उत्तर प्रदेश औधोगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) द्वारा शहर से आठ किलोमीटर दूर जलेसर रोड़ पर एक विशालकाय भूखण्ड का अधिग्रहण किया गया था. जिसमें से करीब 250 छोटे-छोटे भूखंड स्थापित किये गए थे, जिनमें से कुछ आवासीय थे और कुछ औधोगिक इस्तेमाल के लिए थे.
फिरोजाबाद के कारोबारियों ने भूखंडों आवंटन में तो काफी रुचि दिखाई और उन्हें आवंटित भी करा लिया. लेकिन वह इंडस्ट्री लगता भूल गए. कारोबारियों द्वारा रुचि न दिखाने का ही परिणाम रहा कि इन जगह में बमुश्किल दो दर्जन ही इकाइयों को ही स्थापित किया जा सका है. कारोबारियों की सुविधा के मद्देनजर वैसे तो यहां सभी सुविधाएं हैं जिनमें पानी के लिए टंकी, बिजली के लिए बिजली घर, सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी भी स्थापित है.