फिरोजाबाद: जिले में गोवंश संरक्षण की योजनाएं धरातल पर उतरती नहीं दिख रहीं. योजनाओं के क्रियान्वन में शिथिलता किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनती जा रही है. मालूम हो कि प्रदेश में गोवंशों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री सहभागिता योजना (CM sahbhagita yojana) की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत जिले में बड़ी तादात में अस्थायी और स्थायी गोशालाएं खोली गईं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही, अनदेखी और मॉनिटरिंग के अभाव में हजारों की संख्या में गोवंश सड़कों पर विचरण करते मिल जाएंगे. इसका सबसे बड़ा खामियाजा जिले के किसानों को उठाना पड़ रहा है. ये निराश्रित गोवंश किसानों के खेतों में खड़ी फसल को बर्बाद कर रहे हैं.
जानकारी देते मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. सुबोध कुमार सड़कों पर घूमते दिख रहे निराश्रित पशु और गायें सरकार की गोवंश संरक्षण योजनाओं की पोल खोल रही हैं. हलांकि, सरकार के निर्देशानुसार जिले में स्थायी और अस्थायी गोशाला खोलकर संचालित की जा रही हैं. आपको बता दें कि, प्रदेश सरकार ने निराश्रित, बेसहारा गोवंश का पालन करने वाले किसानों को 30 रुपये प्रतिदिन प्रति पशु देने के लिए 'मुख्यमंत्री निराश्रित', 'बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना' को लॉंच किया गया था. जिलाधाकिरी इच्छुक किसानों व पशुपालकों को चिह्नित करते हैं. उनके खाते में डीबीटी के जरिए 30 रुपये प्रति गोवंश प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करते हैं. ऐसे पशुओं की ईयर टैगिंग कर पशु पालकों को सौंपा जाता है. योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे. फिर भी योजनाओं का सही से क्रियान्वन नहीं हो पा रहा है.
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फिरोजाबाद जिले की बात करें तो यहां कुल 42 गोशालाएं संचालित हैं, जिनमें से 39 अस्थायी, एक कान्हा और दो स्थायी गोशालाएं हैं. स्थायी में एक गोशाला मदाबली और दूसरी कंजीखेड़ा गांव में स्थित है. इन गोशालाओं में चार हजार से अधिक गोवंश संरक्षित हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री जनसहभागिता योजना के तहत भी 534 गायें विभिन्न पशु पालकों को दी जा चुकी हैं.
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इतने सब इंतजामों के बाद भी सड़कों पर हजारों की संख्या में आवारा गोवंश विचरण करते मिल जाएंगे. ये किसानों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं. ये आवारा गोवंश खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इस संबंध में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. सुबोध कुमार का कहना है कि, जिले में गौ संरक्षण के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं. जिले कुल 42 गोशाला हैं, जिनमें इन्हें संरक्षित किया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि जो गोवंश सड़कों पर आवारा घूमते दिखाई देते हैं. उसे नगर निगम और ग्राम विकास विभाग की टीम पकड़कर ले जाती हैं और गोशाला में उन्हें संरक्षित कर दिया जाता है. जिले में गो संरक्षण की योजनाएं आखिर क्यों फेल हैं? इस बारे में एक निजी गोशाला सचिव द्विजेन्द्र मोहन शर्मा ने कहा कि प्रति गाय के आहार के लिए जो 30 रुपये मिलते हैं, वो बहद कम है और वह भी समय पर नहीं मिलता. यही वजह है कि लोग गोवंश के पालन में रुचि नहीं ले रहे हैं.