फतेहपुर: महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया है. आज के परिदृश्य में महिलाएं केवल चूल्हे-चौके तक ही सीमित नहीं रह गई हैं. महिलाएं घर की दहलीज लांघकर बाहर निकल रही हैं और अपना कल सवांरने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं. जिले के सदर तहसील क्षेत्र के अस्ती गांव की महिलाओं ने लॉकडाउन के दौरान आत्मनिर्भर बनने का काम किया है और सिलाई कर अपना भविष्य संवार रही हैं.
सदर तहसील के अस्ती गांव के प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका आसिया फारूकी गांव में निकलीं और ग्रामीण महिलाओं को घर से निकालकर कुछ करने के लिए जागरूक किया. इसके बाद जब काम चुनने की बारी आई तो उन्होंने सिलाई को चुना और सिलाई में भी कपड़े के बैग बनाने की सोची, लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था. ग्रामीण महिलाओं के पास न तो सिलाई मशीनें थी, न रॉ मैटेरियल और न ही कोई ऐसा स्थान जहां यह कार्य शुरू किया जा सके.
जानिए कैसे हुई काम की शुरुआत
इसके लिए प्रधानाध्यापिका ने गांव-गांव जाकर खराब पड़ी मशीनें एकत्र की और मैकेनिक बुलाकर उसे सही कराया. इसके बाद कुछ मशीनें वह स्वयं अपने घर से लाईं. रॉ मैटेरियल उन्होंने कानपुर से थोक में मंगाया और विद्यालय के एक कमरे को दक्षता कक्ष बना दिया. चूंकि विद्यालय खुले थे, लेकिन बच्चे नहीं आ रहे थे, तो उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं हुई. उसके बाद गांव के टेलर मास्टरों की मदद से सभी महिलाओं ने कटिंग आदि सीखी. महिलाओं की मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि अब यहां कई महिलाएं दक्ष हो रहीं और कुछ दक्ष हो चुकी हैं.
साजिया ने बताया कि वह काफी समय से सिलाई का काम सीखना चाह रही थीं, लेकिन यहां कोई व्यवस्था नहीं थी. मैम के द्वारा उन लोगों को आगे बढ़ने का अवसर दिया गया. मैम ने सीखने के लिए टेलर को बुलाया है, जो हमें काम सिखाते हैं. ग्रामीण महिला सुमन शर्मा ने बताया कि हम लोगों ने घर-घर जाकर महिलाओं को जागरूक किया. इसके बाद काफी महिलाएं हमारे साथ जुड़ रही हैं. हम लोग यहां काम सीखकर आगे बढ़ेंगे. अपना काम शुरू कर अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और परिवार चलाने में मदद कर सकेंगे. इससे हमको काफी मदद मिलेगी.
हम अपनी बहन और मां के साथ यहां काम सीख रहे हैं. पहले बैग बनाना सीख रहे हैं. इसके बाद सलवार कुर्ता, पैंट, शर्ट बनाना भी सीखेंगे. इसके बाद इसकी बाजार में बिक्री कर पैसे कमा सकेंगे. इससे हमारा घर भी चल सकेगा और बाजार में कपड़े के बैग बेचने से शहर पॉलीथिन मुक्त भी हो सकेगा.
-छाया देवी, ग्रामीण युवती