फतेहपुर: यूपी के फतेहपुर में एक मंदिर ऐसा भी है जहां मुगल शासक औरंगजेब ने मन्नत मांग कर विजय की कामना की थी. मां पन्थेश्वरा देवी मंदिर जनपद के खजुआ कस्बे में स्थित है. औरंगजेब द्वारा मंदिर में पूजा करने के बाद से न सिर्फ हिन्दू बल्कि मुस्लिमों के लिए भी यह आस्था का केंद्र बना है.
पन्थेश्वरा देवी मंदिर में औरंगजेब ने टेका था मत्था. पन्थेश्वरा देवी मंदिर में औरंगजेब ने टेका था मत्था
मुगल बादशाह औरंगजेब को कट्टर इस्लाम धर्मावलंबियों से जोड़ा जाता है. फतेहपुर जिले में उसका दूसरा ही रूप देखने को मिलता है. यहां औरगंजेब को हिन्दू धर्म के प्रति आस्था को लेकर पहचाना जाता है. किवदंती है कि अपने भाई शाहसुजा से युद्ध के दौरान यहां के खजुआ कस्बे में स्थित पन्थेश्वरा देवी मंदिर में औरंगजेब ने विजय के लिए प्रार्थना की थी. जीत के बाद उसने यहां देवी से आशिर्वाद लिया और तालाब और मंदिर के निर्माण के लिए दान दिया था.
औरंगजेब ने मंदिर निर्माण के लिए दिया था दान
- फतेहपुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर खजुआ कस्बे में स्थिति मां पन्थेश्वरा देवी पीठ श्रद्धालुओं के आस्था का प्रमुख केंद्र है.
- यहां पूरे वर्ष लोग भारी संख्या पूजन अर्चन करते हैं और जो मन्नत मांगते हैं पूरी होती है
- यह मंदिर जहां हिन्दू धर्म के आस्था का प्रमुख केंद्र है.
- यहां पूरे वर्ष श्रद्धालु आते हैं वहीं नवरात्रि के समय एक बड़े मेले का आयोजन भी होता है.
- मुगल बादशाह औरंगजेब के द्वारा देवी के दरबार मे मत्था टेकना श्रद्धालुओं की आस्था को और प्रबल कर देता है.
- बताया जाता है कि औरंगजेब ने यहां तालाब और मंदिर के निर्माण के लिए दान भी दिया था.
इस मंदिर के पुजारी दीनानाथ बताते हैं कि बादशाह शाहजहां के पुत्र शाहशुजा और औरंगजेब के मध्य 5 जनवरी 1659 को उत्तराधिकार के लिए युद्ध हुआ था. युद्ध के दौरान औरंगजेब की सेना इसी मंदिर के पीछे ठहरी हुई थी. इस दौरान औरंगजेब के द्वारा मंदिर के पुजारी के पूछा गया कि तुम बहुत जानकार है तो बताओ किस समय युद्ध किया जाय कि जीत हो. पुजारी ने तब औरंगजेब से देवी से मन्नत मांगने को कहा कि अगर युद्ध में विजय हुई तो आपके दरबार मे पूजन करेंगे. इसके बाद पुजारी ने युद्ध का समय बताया. उसी समय पर आक्रमण कर औरंगजेब ने अपने भाई शाहशुजा से युद्ध में विजय प्राप्त की. युद्ध मे विजय के उपरांत औरंगजेब ने पन्थेश्वरा देवी में मंदिर जाकर मत्था टेका और पुजारी को उपहार दिया. जिसके बाद यहां मंदिर और तालाब का निर्माण किया गया.