फतेहपुर: कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के दौरान एक तरफ जहां सारा देश ठप हो गया, वहीं घरों में रहकर लोग तनाव ग्रस्त होने लगे. खासकर बच्चों के विद्यालय बंद होने से उनके जीवन में काफी बुरा असर पड़ा. हालांकि धीरे-धीरे देश अनलॉक की तरफ बढ़ा. लोग काम पर निकलने लगे, लेकिन विद्यालय अभी भी बंद थे. कुछ शर्तों के साथ बड़ी कक्षाओं में अध्ययन कार्य शुरू किया गया. ऐसे में सरकार ने प्राथमिक विद्यालय खोल दिए, लेकिन सिर्फ अध्यापकों को जाना था, ताकि लंबित कार्य पूरा किया सके और इसी दौरान एक प्रिंसिपल ने कुछ ऐसा किया, जिससे आज कई बच्चियां आत्मनिर्भर हो गई हैं.
बच्चियों को दिया नि:शुल्क प्रशिक्षण. शुरू किया सिलाई कढ़ाई का कैम्प इस दौरान विद्यालय में कार्य के बाद शेष समय का उपयोग कैसे किया जाए, इसके लिए प्राथमिक विद्यालय अस्ती की प्रधानाध्यापिका आसिया फारूकी ने एक पहल शुरू की. गांव की उन बच्चियों के लिए विद्यालय में सिलाई-कढ़ाई का कैम्प लगा दिया, जो कुछ करना चाहती थी, सीखना चाहती थीं. उन्होंने इसके लिए विद्यालय के बरामदे में कोविड-19 के नियमों को ध्यान में रखते हुए कुर्सियां लगवा दीं और लड़कियों को ट्रेनिंग देनी शुरू की.
बन रही आत्मनिर्भर
आपको बताते चलें कि आसिया फारूकी अपनी मेहनत और लगन के लिए पूरे जनपद में एक अलग पहचान रखती हैं. अपने अच्छे कार्यों के लिए वह मुख्यमंत्री से लेकर कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं. विद्यालय में ट्रेनिंग की बात सुनकर के सारी बच्चियां उनके यहां आकर निःशुल्क सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण ले रही हैं. साथ ही आत्मनिर्भरता के गुर सीख रही हैं. ट्रेनिंग का उद्देश्य लड़कियों को अपने पैरों पर खड़े करना है, जिसका यह पहला कदम है. या यूं कहें कि शुरुआत है.
छात्राओं ने बताया
विद्यालय में सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण ले रही छात्राओं ने बताया कि लॉकडाउन के चलते विद्यालय बंद थे और हम लोग कहीं आ जा नहीं सकते थे, तभी विद्यालय में सिलाई-कढ़ाई कैम्प के बारे में जानकारी हुई और हम लोग सीखने लगे. यहां विभिन्न प्रकार की कढ़ाई, तुरपन आदि सिखाया जाता है, जिससे हम लोगों को काफी अच्छा लगता है. यह सीखना हमें काफी पसंद था, लेकिन आस-पास कहीं व्यवस्था नहीं थी. इस कैम्प के माध्यम से हम लोग सीख पा रहे हैं.
प्रिंसिपल ने दी जानकारी
विद्यालय में बच्चियों को सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिंग दे रहीं अस्ती प्राथमिक विद्यालय की प्रिंसिपल आसिया फारूकी कहती हैं कि लॉकडाउन में विद्यालय बंद थे. इसी समय का सदुपयोग करने के लिए हमनें छात्राओं को कढ़ाई-सिलाई सिखाने की सोची. हमनें गांव में सूचना दी और जो बच्चियां आकर सीखना चाहती थी, उन्हें यहां पर हम सीखा रहे हैं. उन्होंने कहा को हमें शुरुआत से ही महिलाओं और बच्चियों के लिए कुछ करना काफी अच्छा लगता है.