फतेहपुर:कोरोना महामारी से जंग और देशव्यापी तालाबंदी से व्यापार जगत को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. इसमें सीजन के व्यवसायों में शामिल कूलर बिक्री, इनकी मरम्मत, घास भरने का व्यवसाय पूरी तरह चौपट रहा. कूलर की मुख्य बिक्री और मरम्मत आदि का कार्य मार्च से जून के अंत तक चलता है. लॉकडाउन के चलते घास भरकर अपना जीविकोपार्जन करने वालों के हाथ भी इस वर्ष निराशा ही लगी है.
कोरोना वायरस के संकट के चलते अन्य व्यवसायों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक का व्यवसाय कमजोर रहा. दुकानदारों की माने तो जनपद में सीजन में कूलर का कुल 3.5 से 4 करोड़ तक व्यवसाय हो जाता था. इसमें करीब 2 करोड़ रुपये का ब्रांडेड कूलरों और 1.5 से 2 करोड़ का स्टील, टिन आदि के ढांचे में बने कूलरों का व्यवसाय हो जाता था, जोकि इस वर्ष 15 से 20 प्रतिशत में ही सिमट कर रह गया है. वहीं कूलर में घास भरने वाले दुकानदार भी सीजन के तीन-चार महीनों में 1.5 से 2 लाख रुपए तक कमा लेते थे, जो इस वर्ष बुरी तरह प्रभावित रहे. इसके चलते उन्हें घर चलाना मुश्किल हो रहा है.
खत्म हो रहा सीजन, कम हुई मांग
दुकानदारों के अनुसार, कोरोना के दौरान लोगों की आमदनी न होने के कारण अब बाजार खुलने के बाद जो ग्राहक आते हैं, वह सस्ते कूलर की मांग करते हैं. बाजार बंद होने के चलते घर में मौजूद उपकरणों से ही लोगों ने काम चला लिया और अब सीजन अंत समय पर है, तो आगे भी बिक्री की उम्मीद नहीं दिख रही है. माल पूरा डंप हो गया, जिससे पैसा भी काफी फंस गया है.
कूलर व्यवसाय में 75 प्रतिशत की कमी
कूलर का थोक व्यवसाय करने वाले डीलर सोनू गुप्ता बताते हैं कि कूलर का व्यवसाय अप्रैल से शुरू होकर जून और जुलाई तक चलता है. पिछली बार करीब 26-27 लाख का व्यवसाय हो गया था, लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन के चलते दुकानें अनियमित तरीके से खुलीं और शादी-व्याह भी नहीं हुए. इसके चलते व्यवसाय में काफी नुकसान हुआ और अभी तक महज 6 से 7 लाख तक का ही व्यवसाय हो पाया है. इस वर्ष व्यवसाय में करीब 75 प्रतिशत की कमी है.