फतेहपुर: आज के समय में सभी व्यवसाय अपडेट हो गए हैं, यानी पुराने उपकरणों को दरकिनार कर व्यक्ति आधुनिक तकनीक अपना रहा है. यही वजह है कि तमाम व्यवसायों में भी आधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन जिले के ग्राम सेवा संस्थान में महिलाएं चरखा चलाकर आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर बुन रही हैं.
कभी आजादी की लड़ाई का प्रतीक बना चरखा आज महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन का आधार बन रहा है. उत्तर प्रदेश में संचालित ग्राम सेवा संस्थान की फतेहपुर इकाई में 20 से अधिक गांवों की महिलाएं चरखा चलाकर आमदनी कर रही हैं. इससे न सिर्फ वह अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं, बल्कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करते हुए सशक्त हो रही हैं.
250 परिवार कर रहे जीवन यापन
जिले में खादी की अलख जगा रहे ग्राम सेवा संस्थान में 250 से अधिक परिवार बापू के प्रिय चरखे से जीवन-यापन कर रहे हैं. ग्रामीण अंचल की जिन जरूरतमंद महिलाओं के पास चरखा खरीदने का पैसा नहीं है. वह संस्थान में बनी कार्यशाला में आकर सूत कातती हैं. इसके साथ ही वह अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर होने के लिए प्रेरित करती हैं. इनके द्वारा काते गए सूत से तैयार कपड़े की सप्लाई सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि गुजरात, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, बंगाल, हरियाणा सहित 10-प्रान्तों में होती है.