उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

फतेहपुर: कृषि अधिकारी ने किसानों को बताए भूमि एवं बीज शोधन के गुण

यूपी के फतेहपुर में रबी फसल की बुआई शुरू हो गई है. इसको देखते हुए कृषि रक्षा अधिकारी ने शुक्रवार को किसानों को खेत तैयार करने व बीज शोधन के लिए गुण बताए.

रबी फसल बुआई शुरू.
रबी फसल बुआई शुरू.

By

Published : Oct 24, 2020, 9:03 AM IST

फतेहपुर: सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए वह कई तरह की योजनाओं के साथ जागरूकता कार्यक्रमों पर फोकस कर रही है. इसी क्रम में रबी फसल की बुआई के लिए शुक्रवार को कृषि रक्षा अधिकारी ने किसानों को खेत तैयार करने एवं बीज शोधन हेतु महत्वपूर्ण गुण बताए, ताकि फसल का जमाव अच्छा हो सके. साथ ही किसान बिना किसी नुकसान के फसलों को तैयार कर सकें.

रबी फसल बुआई का समय

आपको बताते चलें कि इस समय रबी फसल यानी गेंहू, चना, जौ, सरसों, मटर, राई, आदि की बुआई का समय चल रहा है, जिसके लिए किसान अपने खेतों को तैयार कर रहे हैं. साथ ही अच्छे जमाव व अच्छी उपज के लिए बेहतर बीज का चुनाव करने में जुटे हैं. कुछ किसान नए बीज की बुआई करते हैं, लेकिन कुछ लोग धन अभाव में पुराने बीज को ही शोधित कर बोते हैं. ऐसे किसानों के लिए कृषि रक्षा अधिकारी की तरफ से कुछ बेसिक जानकारियां दी गई हैं, जिनका उपयोग करके किसान अच्छी फसल तैयार कर सकते हैं.

कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया

जिला कृषि रक्षा अधिकारी सतेंद्र सिंह ने बताया कि रबी फसल की बुआई का समय चल रहा है. फसलों को विभिन्न प्रकार के बीज जनित एवं भूमि जनित रोगों और कीटों से बचाना आवश्यक है. इसके लिए भूमि एवं बीज शोधित करना बहुत जरूरी है. भूमि शोधन हेतु किसान भाई 1.5% ट्राईकोडरमा हरजेनियम और 1% व्यूवेरिया वैशियाना, प्रति हेक्टेयर में 2.50 किलोग्राम की दर से 60-70 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर 08 से 10 दिनों तक जूट के बोरों में भरकर रखें. उस पर पानी के छीटे मारते रहें. इसके बाद बुआई से पहले अंतिम जुताई के समय खेत में डालकर भूमि शोधित कर लें.

ऐसे करें फसलों का बचाव

इसी प्रकार राई/सरसों/चना/मटर/गेंहू आदि के बीज शोधन के लिए 75% थीरम, 2.5 ग्राम डीपी या 50% कार्बेडॉजिम की 2 ग्राम मात्रा को एक किलोग्राम बीज की दर से शोधन कर लें. इसके अतिरिक्त आलू बीज के शोधन हेतु 50% कार्बेडॉजिम, 1 ग्राम डब्ल्यूपी अथवा 75% मनकोजेब को एक ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर तैयार बीज का शोधन करें. एक बार बनाए गए घोल में 10-15 बार आलू को उपचारित किया जा सकता है. कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि उपचारित बीज की बुआई 25 घंटों के भीतर कर देनी चाहिए, जिससे बीज जनित रोगों से फसलों को बचाया जा सके.

ABOUT THE AUTHOR

...view details