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इस स्कूल में 101 बच्चों को अकेले पढ़ा रहीं ये शिक्षिका, पढ़ाने का तरीका बेहद अनोखा - फर्रुखाबाद का प्राइमरी विद्यालय

फर्रुखाबाद में एक ऐसा प्राइमरी विद्यालय है जहां सिर्फ एक ही शिक्षिका हैं. इन पर जिम्मेदारी है स्कूल के 101 बच्चों की. वह अकेले ही इन बच्चों को पढ़ाती हैं. शिक्षिका का बच्चों को पढ़ाने का तरीका भी बेहद अनोखा है. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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ग्राम वीरसिंहपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षिका के भरोसे कई बच्चे.

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Published : Jul 4, 2022, 9:31 PM IST

फर्रुखाबाद: जिले के राजेपुर ब्लाक क्षेत्र के ग्राम वीरसिंहपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय में महज एक शिक्षिका नीलम राठौर ही तैनात हैं. उनके कंधों पर 101 बच्चों की जिम्मेदारी हैं. ईटीवी भारत की टीम जब इस स्कूल में पहुंची तो वह अकेले बच्चों को पढ़ाते हुए मिली. उन्होंने कहा कि अकेले होने की वजह से उन्हें दिक्कत होती है फिर भी कोशिश रहती है कि बच्चे परेशान न हों.

शिक्षिका नीलम राठौर ने बताया कि वह एक कमरे में सभी क्लासों के बच्चों को बैठाकर पढ़ाती हैं. यहां एसी और टीवी भी लगा है. उन्होंने बताया कि जिन विषयों में उनकी पकड़ मजबूत है वह बच्चों को पढ़ाती हैं, जिन विषयों में उनकी पकड़ कमजोर है उसके लिए वह स्मार्ट क्लास का सहारा लेतीं हैं. कमरे में लगे टीवी से बच्चों को स्मार्ट क्लास की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. इसके अलावा उन्होंने होशियार बच्चों के साथ कमजोर बच्चों के जोड़े बना रखे हैं. ये बच्चे कमजोर बच्चों को पढ़ने में मदद करते हैं. इससे भी बच्चों को पढ़ाने में काफी मदद मिल जाती है.

ग्राम वीरसिंहपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षिका के भरोसे कई बच्चे.

उन्होंने बताया कि जिन बच्चों की गणित य़ा अन्य विषयों में पकड़ अच्छी है उनसे वह क्लास में पढ़ाने में सहयोग करवाती हैं. इस तरह बच्चों की लगभग सभी विषयों की पढ़ाई पूरी हो जाती है. उन्होंने बताया कि एक कमरे में एक साथ कई बच्चे बैठने से गर्मी हो जाती है इस वजह से एसी चलवाया जाता है. उन्होंने बताया कि यह एकल विद्यालय है, इस वजह से दिक्कत होती है. यदि यहां पर शिक्षक बढ़ जाए तो पढ़ाई और अच्छी हो जाए.

कक्षा की छात्रा राधा व काम्या ने बताया कि पढ़ाई ठीक होती है. शिक्षिका ने जोड़े बना रखे हैं. इस वजह से मदद मिल जाती है. कई विषयों की जानकारी टीवी के जरिए स्मार्ट क्लास से हो जाती है. शिक्षिका सभी बच्चों का ध्यान रखतीं हैं.

वहीं, बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में पढ़ाई ठीक होती है. हालांकि शिक्षिकों की संख्या बेहद कम है. यह संख्या बढ़नी चाहिए ताकि अकेली शिक्षिका पर ही सभी बच्चों का भार न पड़े. इससे बच्चों का भविष्य भी संवरेगा.


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