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ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड: उम्रकैद की सजा काट रहे विजय सिंह की जमानत याचिका खारिज - फर्रुखाबाद समाचार

सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे सपा के पूर्व विधायक विजय सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी है. 10 फरवरी 1997 को लोहाई रोड पर पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या कर दी गई थी.

फाइल फोटो.

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Published : Sep 3, 2019, 2:17 PM IST

फर्रुखाबाद: भाजपा के पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे सपा के पूर्व विधायक विजय सिंह की सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी है. प्रयागराज की नैनी जेल में सजा काट रहे पूर्व विधायक जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.

सोमवार को पूर्व विधायक के परिजन और समर्थक दिल्ली गए थे. दोपहर बाद विजय सिंह की जमानत याचिका खारिज होने की सूचना से समर्थक निराश हो गए. बताते चलें कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद विजय सिंह सदर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक चुने गए. वह पिछला चुनाव हारे और स्व. द्विवेदी के पुत्र मेजर सुनील दत्त विधायक बने. कुछ दिन बाद ही विजय सिंह को हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई.

बीमार होने के चलते की थी रिहाई की मांग-
सुप्रीम कोर्ट में विजय सिंह के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि विजय सिंह को शुगर की बीमारी है. इसलिए उन्हें दिन में चार बार इंसुलिन लेना पड़ता है. इसके अलावा हाईपर टेंशन और किडनी में दिक्कत है. साथ ही उनकी पत्नी फर्रुखाबाद नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष दमयंती सिंह भी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं.

इसी आधार पर उन्होंने विजय सिंह की रिहाई की मांग की थी. मगर अभियोजन पक्ष की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों के आगे उनकी एक नहीं चली. इसके बाद न्यायपीठ ने विजय सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि वह जहां हैं, वहीं इलाज कराया जाएगा.

क्या था पूरा मामला-
10 फरवरी 1997 को लोहाई रोड पर पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या कर दी गई थी. इतना ही नहीं फायरिंग के दौरान साथ में मौजूद गनर बृजकिशोर तिवारी की भी मौत हो गई थी, जबकि ड्राइवर शेर सिंह भी घायल हुआ था. वह किसी विवाह समारोह से लौट रहे थे. सदर कोतवाली में उनके भतीजे सुधांशु दत्त ने मुकदमा दर्ज कराया था.

मामले की विवेचना सीबीआई को दी गई थी. सीबीआई ने आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र प्रेषित किया था. सीबीआई कोर्ट लखनऊ से 23 जुलाई 2001 को आरोप तय किया गया. इसी बीच सुनवाई के दौरान आरोपी रमेश ठाकुर की मौत हो गई. वहीं सीबीआई ने कुल 67 गवाह पेश किए. 17 जुलाई 2003 को ट्रायल कोर्ट ने पूर्व विधायक विजय सिंह और संजीव महेश्वरी जीवा को दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई. हालांकि इसके बाद विजय सिंह को जमानत मिल गई. 26 मई 2017 को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के जस्टिस विजय लांबा और जस्टिस विजय लक्ष्मी की बेंच ने विजय सिंह और जीवा की अपील खारिज कर ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा को बहाल रखा. तबसे विजय सिंह जेल में ही हैं.

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