फर्रुखाबाद:संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 125 वीं रैंक पाकर बैनामा लेखक सलीम खान का बेटा मोहम्मद सुबूर खान आईएएस बन गया है. सुबूर खान को तहसीलदार से आईएएस बनने की प्रेरणा मिली थी. वहीं, पिता ने डीएम की गाड़ी देख कर बेटे को आईएस बनाने की ठानी थी. सुबूर खान इन दिनों मुरादाबाद में होमगार्ड कमांडेंट का प्रशिक्षण ले रहे थे. जब उनको यूपीएससी की परीक्षा पास करने की जानकारी हुई, तो वह देर रात घर पहुंचे.
सुबूर खान ने UPSC में 125वीं रैंक पाकर पिता का सपना किया पूरा - UPSC RESULT 2022
यूपीएससी परीक्षा में 125 वीं रैंक के साथ सुबूर खान किया अपने गांव और जिले का नाम रोशन किया. रिजल्ट की जानकारी होने के बाद वह मुरादाबाद से घर के लिए देर रात लौटे हैं. बधाई देने के लिए घर पर लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है.
गांव कुबेरपुर सरैया निवासी मोहम्मद सुबूर शुरू से ही आईएएस बनना चाहते थे. सुबूर पहले 2020 में पीसीएस की परीक्षा पास कर होमगार्ड कमांडेंट कमांडेंट बने. इसके बाद भी वे अपनी मंजिल पाने में लगे रहे. 25 अप्रैल को सुबूर मुरादाबाद में ट्रेनिंग कर रहे थे. 17 मार्च को सुबूर ने लोग संघ लोक सेवा आयोग की लिखित परीक्षा दी. यह पास करने के बाद 25 मई को साक्षात्कार दिया. सोमवार को परिणाम आया तो उनके परिवार और रिश्तेदारी रिश्तेदारों में खुशी की लहर दौड़ गई. मां सबिया बेगम, पिता सलीम खान, बहन ऐमन सभा और आमना खान ने मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया.
पिता सलीम खान ने बताया कि वह अक्सर तहसील में डीएम की गाड़ी आते देखते थे. मन में जिज्ञासा होती थी क्यों ना अपने बेटे को आईएस बनाएं. इसलिए जो भी कमाया उसे बच्चों की पढ़ाई में लगाया. बेटे को कामयाब बनाने के लिए प्रयास में जुटे रहे.
तहसीलदार से मिली आईएएस बनने की प्रेरणा: संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर आईएएस में बने मोहम्मद सुबूर खान ने बताया कि 10 वर्ष पहले उनके यहां तत्कालीन तहसीलदार नासिर हुसैन का आना-जाना था. तब इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रहे थे. उन्होंने आईएएस बनने की टिप्स दिए. उन्होंने तभी से यह तय कर लिया था कि कुछ भी हो जाए,लेकिन आईएएस बनकर समाज के लिए जरूर कुछ करना है. इसके अलावा मां की दुआ और पिता के संघर्ष ने उन्हें कामयाबी दिलाई और आगे उनकी यह प्राथमिकता रहेगी कि समाज के हर वर्ग को सरकार की हर योजना का लाभ मिले.
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