फर्रुखाबाद: जिले के कमालगंज ब्लॉक के श्रृंगीरामपुर निवासी शिक्षक गोवर्धन दास पाल के बेटे राहुल पाल ने बायोटेक्नोलॉजी से एमएससी, एमबीए और एमफिल किया. इसके बाद वह पूर्वी अफ्रीका स्थित नेशनल एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट में नौकरी करने चले गए थे, लेकिन देश और किसानों के लिए कुछ करने की चाहत उन्हें वापस अपने शहर लौटा लाई. अब राहुल श्रृंगीरामपुर में लेबोरेटरी और नर्सरी स्थापित कर टिशू कल्चर से नए-नए प्रयोग करते हैं, ताकि क्षेत्र के किसानों को कम दाम पर उन्नत बीज और तकनीक उपलब्ध करा सकें.
आलू की पैदावार में हुई बढ़ोतरी
बता दें कि फर्रुखाबाद में किसानों की आय का स्त्रोत आलू की फसल है. यहां पर दो हजार से अधिक किसान बीज लेकर आलू की भरपूर पैदावार और आय अर्जित कर रहे हैं. टिश्यू कल्चर विधि से तैयार किए केला, सागौन और चंदन के पौधे भी किसानों के लिए आय का साधन बन रहे हैं. किसानों ने बताया कि पहले आलू का सामान्य बीज बोते थे, तो 45 पैकेट तकरीबन 50 किलो आलू प्रति बीघा होती थी, लेकिन निरोगी और उन्नत बीज बोने से पैदावार दोगुनी से अधिक हो रही है, जिससे मुनाफा दोगुना निकल रहा है.
दो हजार से अधिक किसानों ने बीजों की कराई बुकिंग
विदेश से नौकरी छोड़ कर स्वदेश लौटे राहुल पाल ने बताया कि अपनों के लिए कुछ बेहतर करने का विचार ही वापसी का कारण बना. इस सीजन भी दो हजार से अधिक किसान आलू के बीज के लिए बुकिंग करवा चुके हैं. उन्होंने बताया कि यहां आलू की फसल में अक्सर रोग लगने से किसानों को भारी नुकसान सहना पड़ता था, जनपद में आलू की खेती अधिक होती है. इसलिए आलू पर सबसे अधिक ध्यान दिया है. लैब में टिशू कल्चर से गुणवत्ता भरे निरोगी बीज और नर्सरी में पौधे तैयार कर, इन्हें वाजिब दामों में किसानों को उपलब्ध कराया जाता है. पाली हाउस में जरूरी तापमान पर कोकोपीट में यह पौधे उगाते हैं.