उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

Farming New Technology: फर्रुखाबाद में बिना मिट्टी के हो रही आलू की खेती, जानें कैसे - Farming New Technology

फर्रुखाबाद में डॉ. राहुल नई विधि से आलू तैयार कर रहे हैं. जिसकी पैदावर बिना मिट्टी के हो रही है. ये है एरोपोनिक विधि (Aeroponic Method). एरोपोनिक विधि से तैयार किए गए आलू में फंगस और बैक्टीरिया नहीं लगते. इसके अलावा इसमें पोषक तत्वों की मात्रा भी अधिक होती है. देखें ये स्पेशल रिपोर्ट...

फर्रुखाबाद में एरोपोनिक विधि से तैयार किए जा रहे आलू
फर्रुखाबाद में एरोपोनिक विधि से तैयार किए जा रहे आलू

By

Published : Jan 24, 2023, 10:45 PM IST

एरोपोनिक विधि के बारे में बताते कृषि वैज्ञानिक डॉ. राहुल

फर्रुखाबादः जिले में कमालगंज ब्लाक स्थित श्रृंगीरामपुर की प्रयोगशाला में कृषि वैज्ञानिक डॉ. राहुल पाल आलू को बिना मिट्टी के हवा में पानी के जरिए तैयार कर रहे हैं. ये हो रहा है एरोपोनिक विधि से. डॉ राहुल पाल की यह पहल उन्नतिशील किसानों की आमदनी बढ़ाने का बेहतर विकल्प है. आलू की खेती करने वाले किसानों को ऐसा बीज मिलेगा जिसमें फसल में रोग नहीं लगेगा. डॉ. राहुल अफ्रीका से नौकरी छोड़ कर फर्रुखाबाद में आलू की खेती कर रहे हैं.

कृषि वैज्ञानिक राहुल पाल ने बताया कि वह परंपरागत तकनीक से खेती कर रहे थे. किसान हमेशा आलू में चेचक, घुघिया और अन्य रोग लगने से परेशान हो जाते हैं. रोग के कारण पैदावार घट जाती है. इससे आलू किसानों को आर्थिक रूप से घाटा उठाना पड़ता है. हालांकि आलू में रोग लगने का एक मुख्य कारण प्रदूषण भी है. डॉ. राहुल पाल ने बताया कि वो नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर में और शिमला के केंद्रीय आलू संसाधन सीपीआरआई में एरोपोनिक तकनीक से तैयार की गई पौध मिलती है. वे शिमला से आलू की पौध लाए और स्थानीय प्रयोगशाला के ग्रीन हाउस के कोकोपीट में यह पौधे लगा दिए. 1 माह बाद करीब 4 इंच का पौधा हो जाता है. इसके बाद एरोपोनिक विधि से बीज तैयार करने के लिए पौधे को ग्रोथ चैंबर बॉक्स में लगाया जाता है.

ग्रोथ चैंबर बॉक्स के अंदर जड़ें 3 फिट तक बढ़ती हैं. पत्तियां ऊपर खुली हवा में रहती हैं. एक पौधे की जड़ में 50 से 60 आलू के बीज तैयार हो जाते हैं. मिट्टी ना होने से इनमें फंगस और बैक्टेरिया नहीं लगता है. इस तरह रोग रहित बीज तैयार होता है. पौधों को पोषक तत्व बॉक्स के नीचे पाइप लाइन से जुड़े रहते हैं. प्रोटीन विटामिंस, हारमोंस माइक्रोन्यूट्रिन आदि का घोल हर 5 मिनट के बाद 30 सेकंड तक फव्वारे से निकलता है. उन्होंने बताया कि वो आलू के अलावा केला, पपीता और अन्य सब्जियों पर भी कार्य कर रहे हैं. जो की करीब 30 वैरायटी है. पर काम कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के अलावा गुजरात, बिहार, एमपी, पश्चिम बंगाल में भी उनके द्वारा तैयार किए गए आलू की सप्लाई की जा रही है. जहां से जैसी मांग आती है उसके अनुसार आलू तैयार किया जाते हैं. डॉ. पाल ने बताया कि सरकार भी इस सेक्टर में कार्य कर रही है. जिला आलू विकास अधिकारी आरएन वर्मा ने बताया कि एरोपोनिक विधि से आलू बीज तैयार करना नवीनतम तकनीक है. इस बीच से फसल में रोग व बीमारी लगने की संभावना बहुत कम होती है.पैदावार के साथ आलू की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है.

ये भी पढ़ेंःGorakhpur News: विश्व के सबसे बड़े प्लेटफार्म की बढ़ेगी पहरेदारी, पूर्वोत्तर रेलवे में बढ़ेगा विकास का दायरा

ABOUT THE AUTHOR

...view details