फर्रुखाबाद:पहाड़ों पर हो रही बारिश का असर गंगा और रामगंगा में दिखाई देने लगा है. नरौरा बांध से लगातार छोड़े जा रहे पानी के कारण चेतावनी बिंदु 136.60 मीटर पार करते हुए गंगा खतरे के निशान की ओर बढ़ चली है. उफनाई गंगा का पानी दर्जनों गांवों में लोगों के घरों में घुस चुका है. बाढ़ से प्रभावित ग्रामीण अपनी गृहस्थी का सामान समेटकर सुरक्षित स्थान की ओर पलायन करने लगे हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अभी तक बचाव का इंतजाम न होने से प्रशासन के दावों की पोल खुल गई है.
तहसील सदर के गांव पंखियन की मड़ैया, कटरी धर्मपुर, कटरी भीमपुर, कटरी गंगपुर, शिकारपुर समेत दर्जनों गांव में नदी का पानी घुस गया है. इससे लगभग ढाई हजार की आबादी प्रभावित हुई है. यहां के ग्रामीण अपना घर छोड़कर नाव पर सामान लादकर सुरक्षित स्थान की ओर पलायन कर रहे हैं.
ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने बाढ़ प्रभावित गांवों का जायजा लिया. इमादपुर में संपर्क मार्ग कट जाने से कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है. बाढ़ पीड़ितों को अभी तक किसी प्रकार की प्रशासनिक सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई.
खतरे के निशान को छूने को बेताब गंगा का जलस्तर
दरअसल, गंगा का जलस्तर 136.95 मीटर पर पहुंच गया है, जो कि खतरे के निशान 137.10 मीटर से महज 15 सेंटीमीटर ही दूर है, जबकि गंगा का चेतावनी बिंदु 136.60 मीटर पर है. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक नरौरा बांध से गंगा में 1,25,733 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे गंगा का जलस्तर और बढ़ने की आशंका है, तो वहीं राम गंगा का जलस्तर पांच सेंटीमीटर बढ़ने से 135.60 मीटर पर पहुंच गया है. खोह हरेली व रामनगर से रामगंगा में 60,413 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है.
तीन दिन से नहीं जला चूल्हा
राजेपुर के गांव कंचनपुर सबलपुर में परिवार के चार सदस्यों के साथ रहने वाली भगवान श्री के छप्पर के घर में घुटनों तक पानी भर गया है. परिवार के लोग दूसरों के घर पर आसरा लिए हुए हैं. उनका कहना है कि चूल्हा तक पानी में डूबा हुआ है. तीन दिन से घर पर खाना नहीं बना है. कोई सरकारी मदद नहीं मिल पा रही है. आसपास के लोग दो टाइम का खाना दे रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल अन्य गांवों के लोगों का भी है.
गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
गंगा का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांव हरसिंगपुर कायस्थ, करनपुर घाट,सवितापुर, ऊगरपुर, लायकपुर, सुंदरपुर, जोगराजपुर, बमियारी, तीसराम की मड़ैया, कुडली, सारंगपुर, मानवपुर गांव में बाढ़ का पानी भर गया है. गंगा के गांव में प्रवेश करने से बाढ़ का पानी सड़क पर आ गया है. ग्रामीण अपने घरों से सामान निकाल कर छतों पर रख रहे हैं. कई गांवों में ग्रामीणों नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं. वहीं बाढ़ का पानी भाउपुर चौरासी, नगरिया जवाहर, फूला, जटपुरा, माखन नगला, नगला दुर्ग, सुंदरपुर कछुआ गढ़ा, कुसुमापुर समेत करीब 50 से अधिक गांव के किनारे तक पहुंच गया है, जिससे ग्रामीण सहमे नजर आ रहे हैं.
प्रशासन ने नहीं किया कोई इंतजाम
गंगा नदी ऊफान पर आ गई है. गंगा का पानी दर्जनों गांवों में घुस चुका है. बाढ़ से हजारों परिवार प्रभावित हो चुके हैं. कई लोगों ने अपने-अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित या रिश्तेदारों के यहां शरण ले ली है. ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ की रोकथाम व बचाव के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं और न ही किसी भी अधिकारी या कर्मचारी ने उनकी सुध ली है.
डूबी सैकड़ों बीघा फसल
बाढ़ के पानी से धरानगला, चाचूपुर समेत दर्जनों गांव में सैकड़ों बीघा फसल डूबकर नष्ट हो गई है. मक्का, मूंगफली, बाजरा, उड़द, मूंग की फसल को नुकसान हुआ है, जिससे किसान चिंतित नजर आ रहे हैं. खेतों में बाढ़ का पानी भर गया है और फसलें जलमग्न हो गई है, जिससे तटवर्ती गांवों के लोगों को मवेशियों के चारे की समस्या विकराल हो गई है. आशा की मड़ैया के राजेश बताते हैं कि खेतों में पानी भर गया है, जिससे मवेशियों के चारे की समस्या बढ़ गई है. चारे के लिए काफी दूर तक जाना पड़ता है.
गंगा का रौद्र रूप देख ग्रामीण भयभीत
अपर जिलाधिकारी विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले 4 दिन से नरौरा बांध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे जनपद में पानी का जलस्तर बढ़ा है. हालांकि अभी खतरे के निशान से गंगा नीचे है, जिन गांवों में पानी भरा है. वहां पर नाव की व्यवस्था की गई है. जनपद में 52 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं. साथ ही 24 शरणालय बनाए गए हैं.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा पशु चिकित्साधिकारी व सीएमओ को सतर्क कर दिया गया है. खाद्यान्न वितरण सामग्री को वितरण करने के लिए सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने बताया कि अमृतपुर, कायमगंज के अलावा सदर तहसील के 14 गांव प्रभावित हैं.