फर्रुखाबाद: देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन इसका अनुमान फर्रुखाबाद में जर्जर बिल्डिंग और टीन शेड के नीचे चल रहे प्राइमरी विद्यालयों से लगाया जा सकता है. इन स्कूलों में न कोई शौचालय है और न पीने के पानी का इंतजाम, जिससे छात्राओं और शिक्षिकाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं विभागीय अधिकारी जल्द से जल्द प्रस्ताव तैयार करने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं.
बच्चे टीन शेड के नीचे पढ़ने को हैं मजबूर
फर्रुखाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए मुख्य विकास अधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया की पहल पर फाइव स्टार स्कूलों का निर्माण कराया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में करीब 16 से अधिक ऐसे प्राइमरी विद्यालय भी हैं, जो धर्मशाला, मंदिर या टीन शेड के नीचे चल रहे हैं. इन स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर हालत में है. बरसात के दिनों में अभिभावक हादसे के डर से स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजते हैं.
बारिश के दिनों में टपकता है टीन शेड
रेलवे स्टेशन रोड पर किराए के मकान में स्थित प्राइमरी विद्यालय में करीब 46 बच्चे हैं. यहां पर टीन शेड के नीचे बरामदे में कक्षा चलती है. जगह-जगह टीन में छेद हो गए हैं. इससे बारिश के दिनों में टीन शेड भी टपकने लगता है. अध्यापक दीपक शर्मा का कहना है कि यह विद्यालय करीब 50 साल से इसी हालत में चल रहा है. हालांकि सरकार कोशिश तो कर रही है, लेकिन अब देखते हैं कि कायाकल्प योजना के तहत कितना फायदा मिल पाता है.
धर्मशाला के बरामदे में दो विद्यालय चल रहे एक साथ
नई बस्ती स्थित प्राइमरी विद्यालय में सन 1963 से एक धर्मशाला के बरामदे में दो विद्यालय एक साथ चल रहे हैं. जर्जर भवन में 118 बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर है. अध्यापिका कादंबिनी मिश्रा के अनुसार, गर्मी के मौसम में बरामदे में धूप आ जाती है और बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है. ऐसे में इन बच्चों की छुट्टी कर देते हैं. नौनिहालों को हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. मरम्मत नहीं होने के कारण भवन का छत जहां दरक रहा है, वहीं दीवार में भी साफ दरारें देखी जा सकती है. उन्होंने बताया कि बिजली और शौचालय की सुविधा नहीं है. बच्चियों को बाथरूम के लिए अपने घर जाना पड़ता है, जिससे उनकी पढ़ाई भी बाधित होती है.