फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश पुलिस किसी न किसी कारण से अक्सर आलोचनाओं से घिरी रहती है, लेकिन फर्रुखाबाद में 23 बच्चों को बंधक बनाने वाले सुभाष और उसकी पत्नी रूबी की मौत के बाद उनकी एक साल की बेटी गौरी को जब करीबी रिश्तेदारों ने भी अपनाने से इंकार कर दिया, तब इंसानियत की एक नई मिसाल पेश करते हुए आईजी मोहित अग्रवाल ने मासूम बिटिया का जीवनभर खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली और उसे आईपीएस अफसर बनाने की बात कही.
मोहम्मदाबाद के करथिया गांव में गुरुवार को 23 बच्चों को बंधक बनाने वाले सुभाष बाथम के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद मासूम गौरी की मां रूबी को ग्रामीणों ने पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद दंपति की बेटी गौरी बेसहारा और अनाथ हो गई. कोई भी करीबी रिश्तेदार उसकी बेटी को अपनाने को तैयार नहीं हुआ.
अफसर बनाने की कही बात
सोमवार को आईजी मोहित अग्रवाल फर्रुखाबाद के मोहम्मदाबाद थाने पहुंचे, जहां थाना परिसर में गौरी को महिला कांस्टेबल रजनी के साथ खेलता देख उनकी आंखें भर आईं. वह थाने से सीधे पुलिस फोर्स के साथ करथिया गांव पहुंचे, जहां आईजी ने गांव वालों के सामने बिटिया गौरी के जीवनभर का खर्च जिम्मेदारी से उठाने की बात कही. साथ ही इसे किसी अच्छे हॉस्टल वाले स्कूल में पढ़वाने को कहा. उन्होंने कहा कि गौरी को पढ़ा-लिखाकर आईएएस या आईपीएस कोई बड़ा अफसर बनाएंगे.