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पंडित रामनारायण आजाद की अगुवाई में धधकी थी फर्रुखाबाद में क्रांति की ज्वाला - चंद्रशेखर आजाद

फर्रुखाबाद जिले में भी क्रांति की ज्वाला धधकी थी, और इस ज्वाला को चिंगारी देने का काम पंडित रामनारायण आजाद ने किया था. जानकारी के मुताबिक पंडित रामनारायण आजाद की हत्या आजादी के महज चार दिन पहले गोली मार कर दी गई थी. दो सितंबर को पंडित रामनारायण आजाद की जयंती होती है. इस मौके पर आजादी के परवाने को याद करते हुए ईटीवी भारत की टीम पहुंच गई उनके घर, और जाना उनके विचारों को और व्यक्तित्व को, बात करते हुए उनके बेटे गिरीश चंद की आंखें भी अपने क्रांतिकारी पिता के लिए नम हो गईं.

पंडित रामनारायण आजाद
पंडित रामनारायण आजाद

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Published : Sep 1, 2021, 1:55 PM IST

Updated : Sep 2, 2021, 6:04 AM IST

फर्रुखाबाद:'ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी'. इन पंक्तियों को सुनकर एक बार आंखें जरूर भर आती हैं. देश को आजाद कराने में न जाने कितने वीरों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी. ऐसे ही देश पर कुर्बान होने वाले एक वीर क्रांतिकारी थे पंडित रामनारायण आजाद. जिनका देश की आजादी अहम योगदान था. ब्रिटिश खुफिया रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि क्रांतिकारी आजाद क्रांतिकारियों को बम और पिस्टल की सप्लाई करते थे. यानि उन्हें मुहैया कराते थे गोला बारुद. कहते हैं कि देश में आजाद का बड़ा नेटवर्क था. आज उनके याद का दिन है. दरअसल, दो सितंबर को पंडित रामनारायण आजाद की जयंती होती है. ऐसे देश भक्त को अंग्रेजों ने आजादी के महज 4 दिन पहले ही सूली पर चढ़ा दिया. इसी आजादी के परवाने को याद करते हुए ईटीवी भारत की टीम पहुंच गई उनके घर, और जाना उनके विचारों को और व्यक्तित्व को.




फर्रुखाबाद जिले में भी क्रांति की ज्वाला धधकी थी, और इस ज्वाला को चिंगारी देने का काम पंडित रामनारायण आजाद ने किया था. ब्रिटिश खुफिया रिपोर्ट की मानें तो रामनारायण आजाद का एक बड़ा नेटवर्क था. अंग्रेजी हुकूमत को इस दल की तलाश थी. इन पर कई बम कांड में लिप्त होने का आरोप था. रिपोर्ट के अनुसार पंडित आजाद ने दो बम कांड यहीं पर किए, जबकि दूसरा बम कांड लखनऊ और आगरा में इस दल के सहयोगी राम नक्षत्र ने किए थे.

स्पेशल रिपोर्ट



बता दें कि देश को आजादी के लिए इन मतवालों ने न मौत का डर था और न ही कोई भय, मन में था तो एक ही उद्देश्य भारत मां की आजादी. कहते हैं यह दल इतना निडर और साहसी था कि इनके एक सहयोगी संत कुमार पांडे जो फतेहपुर के निवासी थे उन्होंने तो आबकारी इंस्पेक्टर का रिवाल्वर छीन ली थी. यही नहीं, ब्रिटिश हुकूमत पर भी आजाद का खौफ था. इनके साथ ही इनके सहयोगी रहे आगरा के वेदनारायण, सुरेंद्र दत्त पालीवाल, बच्चा बाबू, इलाहाबाद के गिरीश चंद्र बोस, मथुरा के नेकराम, गोरखपुर के राम नक्षत्र त्रिपाठी के अलावा पंडित राम प्रसाद बिस्मिल. कहते हैं कि आजाद सभी के निकट थे. फर्रुखाबाद में स्थित पटेल पार्क में जब नेताजी सुभाष चंद्र यहां आए थे तो इसकी अध्यक्षता भी आजाद ने ही की थी.

खुफिया रिपोर्ट में यह भी रेखांकित है कि चंद्रशेखर आजाद यहां पंडित रामनारायण आजाद के घर भोजन करने के बाद विश्राम घाट चले गए. रामनारायण आजाद ने ही इन्हें पिस्तौल और कारतूस दी थी. कानपुर के लक्ष्मण दास धर्मशाला में चंद्रशेखर आजाद और रामनारायण आजाद योजना बना रहे थे तभी ब्रिटिश हुकूमत पीछे पड़ गई. मौका पाकर चंद्रशेखर आजाद निकल लिए जबकि रामनारायण आजाद को गिरफ्तार कर एक वर्ष तक कठोर दंड दिया गया.

Last Updated : Sep 2, 2021, 6:04 AM IST

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