फर्रुखाबाद:फर्रुखाबाद के फतेहगढ़ स्थित जिला जेल की व्यवस्था व अधिकारियों पर अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाकर कैदियों ने सनसनी फैला दी है. बीमारी से अस्पताल में मरने वाले कैदी संदीप सिंह की जिलाधिकारी को लिखी एक चिट्ठी वायरल हो रही है. जिसमें जेल प्रशासन पर इलाज न कराने का आरोप लगया गया है.वहीं, अन्य कैंदियों का आरोप है कि परिजनों से मुलाकात के एवज में 200 रुपये लिए जाते हैं. अस्पताल में ठीक से इलाज और दवा भी नहीं दी जाती है. इसी के चलते कैदी की मौत के बाद आक्रोश की चिंगारी भड़क गई. अब भले ही उपद्रव का ठीकरा प्रशासन ने कैदियों पर फोड़ दिया है. लेकिन वायरल चिट्ठी आगे मुश्किलें बढ़ा सकती है.
दरअसल, फतेहगढ़ स्थित जिला कारागार में बीते रविवार को उपद्रव के बाद हालात भले ही काबू में आ गए हो. लेकिन कैदियों का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ है. अब मृतक संदीप की सोशल मीडिया पर जेल में इलाज न होने से संबंधित एक चिट्ठी तेजी से वायरल हो रही है.
इस चिट्ठी के माध्यम से कैदी ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई थी कि उसकी तबीयत 28 अक्टूबर से खराब चल रही है. उसने डिप्टी जेलर शैलेश कुमार सोनकर से इसके बारे में बताया है. लेकिन जेलर और डिप्टी जेलर ने उसे टेबलेट खिला दिया. जिससे उसे कोई आराम नहीं है.
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हालांकि, उसने कई बार बंदी साथियों के साथ मिलकर कारापाल से उसे भर्ती कराने को भी कहा. इतना ही चिट्ठी में आगे लिखा गया है कि बार-बार इलाज को कहे जाने पर आखिर में सभी को धमका कर भगा दिया गया. वह बैरक नंबर 9ए में रह रहा है और 28 अक्टूबर से न तो कुछ खाया है और न ही बोलता है.
इसलिए उसका इलाज कहीं बाहर कराया जाए. इतना ही नहीं इस चिट्ठी में कई अन्य कैदियों के साइन भी हैं. वहीं, कैदियों का आरोप है कि जेल के अस्पताल में ठीक से इलाज और दवा नहीं दी जाती है. जिसके कारण कैदी संदीप की मौत हो गई और उसके बाद आक्रोश की चिंगारी भड़क गई.
वहीं, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही मृतक संदीप की चिट्ठी जेल के अंदर की व्यवस्था, संवेदनहीनता, अमानवीय व्यवहार की दास्तां को बयां कर रही है. जिसे सुनकर लोग हैरान हैं और इसकी चर्चा जोर-शोर से हो रही है. डिप्टी जेलर की कार्यशैली पर कैदियों ने सवाल उठाए हैं.
जेल से जमानत पर बाहर आए एक कैदी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि जिला जेल में तैनात डिप्टी जेलर शैलेश कुमार सोनकर की कार्यशैली के कारण कैदियों में गुटबाजी हो गई थी. बड़ी संख्या में कैदी नाराज थे.