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मीठे गन्ने की कड़वाहट का घूंट पी रहे किसान, नहीं मिल रहा उचित दाम - गन्ना समर्थन मूल्य

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में चीनी मिलों में अभी पेराई शुरू होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में किसान मजबूरन न्यूनतम समर्थन मूल्य को छोड़कर निजी कोल्हुओं पर औने-पौने दाम पर अपना गन्ना बेच रहे हैं. निजी कोल्हू संचालक दोहरा लाभ कमा रहे हैं.

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किसानों को नहीं मिल रहा गन्ने का उचित मूल्य.

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Published : Nov 14, 2020, 6:38 AM IST

Updated : Dec 4, 2020, 9:43 AM IST

फर्रुखाबाद : गन्ना एवं चीनी उद्योग में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है. खासकर पश्चिमि उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर गन्ने का उत्पादन किया जाता है, लेकिन विडंबना ये भी है कि प्रदेश के कई जिलों में गन्ने की अच्छी फसल होने के बावजूद किसानों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है. सरकार की उपेक्षा और चीनी मिलों की हीलाहवाली से परेशान किसान गन्ने को औने-पौने दाम पर बेचकर मुनाफे की जगह घाटे का सौदा कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ देखने को मिला फर्रुखाबाद जिले में. जहां गन्ने की फसल खेतों में तैयार खड़ी है, लेकिन चीनी मिल शुरू होने में अभी देरी है. ऐसे में जरूरतमंद किसान गुड़ बनाने के निजी कारखानों में सस्ते दामों में गन्ना बेच रहे हैं, जबकि गुड़ की कीमतें ऊंची होने से गुड़ के कुटीर उद्योग की भी बल्ले-बल्ले है.

उचित दाम नहीं मिलने से परेशान हैं गन्ना किसान.

कायमगंज गन्ना उत्पादन का प्रमुख केंद्र

फर्रुखाबाद जिले का कायमगंज गन्ना उत्पादन का प्रमुख केंद्र माना जाता है. इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष करीब 40 लाख क्विंटल गन्ने की पैदावार होती है. क्षेत्र में चीनी मिल स्थापित है. कम क्षमता वाली सरकारी चीनी मिल 15-16 लाख क्विंटल गन्ना ही चीनी उत्पादन के लिए उपयोग में ला पाती हैं. लिहाजा कर्ज में डूबा किसान मजबूरन निजी कोल्हुओं पर अपेक्षा से कम दाम पर अपना गन्ना बेच रहा है.

गन्ना समर्थन मूल्य से किसानों को मिल रहा कम दाम

निजी कोल्हू पर गन्ना की खरीद 200 से 225 रुपये प्रति कुंतल तक होती है. जबकि चीनी मिल में गत वर्ष गन्ना समर्थन मूल्य 315 से 325 रुपये प्रति कुंतल था. चीनी का फुटकर रेट 40 रुपये तथा गुड़ का रेट भी 35 से 40 रुपये प्रति किलो रहा है. लेकिन चीनी मिलों में अभी पेराई शुरू होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में कर्ज में फंसा किसान मजबूरन कोल्हू पर औने-पौने दामों में अपना गन्ना बेच रहा है और निजी कोल्हू संचालक दोहरा लाभ कमा रहे हैं. किसानों को तय समय पर भुगतान और सही दाम न मिलना उनकी जिंदगी में कड़वाहट घोलने के समान है. कुल मिलाकर यूं कहें कि देश को मीठास देने वाले गन्ना किसानों तक चीनी की मिठास नहीं पहुंच रही.

चीनी से महंगा बिक रहा गुड़

गुड़ उत्पादक के मुताबिक क्षेत्र में 40 से अधिक कोलू संचालित हैं. स्थानीय मंडी के अलावा बाहरी मंडियों में यहां का निर्मित गुड़ जाता है. गुड़ विक्रेताओं ने बताया कि मौसम के साथ गुड़ के रेट घटते-बढ़ते हैं. वहीं कोरोना काल में गुड़ की मांग में इजाफा हुआ है. इसलिए गुड़ के दाम 45 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए. हालांकि इन दिनों फुटकर में गुड़ का भाव 35 से 40 रुपये प्रति किलो है. कयास लगाए जा रहे हैं कि सर्दी बढ़ने पर गुड़ के भाव में इजाफा हो सकता है. ऐसे में लघु व कुटीर स्तर पर गुड़ के उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

किसान रामकिशोर राजपूत बताते हैं कि जिले में करीब 40 लाख क्विंटल गन्ने की पैदावार होती है. प्राइवेट कोल्हू पर किसान अपना गन्ना तभी बेचता है, जब उसे तत्काल पैसों की आवश्यकता होती है. निजी किसानों का भुगतान फौरन कर दिया जाता है. क्रय केंद्र के तौल लिपिक सुरजीत सिंह ने बताया कि किसान अपना गन्ना सरकारी क्रय केंद्र पर बेंच रहे हैं. प्राइवेट कोल्हू पर किसान अपना गन्ना 200 से 225 रुपये में बेच रहे हैं.

Last Updated : Dec 4, 2020, 9:43 AM IST

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