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फर्रुखाबादः मंडी समिति में धान खरीद पर बिचौलिए हावी, नहीं निकल रही किसानों की लागत - किसानों की आय दोगुनी

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में बिचौलिए धान खरीद पर हावी दिख रहे हैं. बिचौलियों को धान बेचने के कारण किसानों की खेती में लगी लागत भी नहीं निकल रही है. वहीं किसानों का आरोप है कि क्रय केंद्र पर रजिस्ट्रेशन के बावजूद भी धान की खरीद नहीं हो रही है.

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मंडी समिति में धान गिराता किसान.

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Published : Oct 24, 2020, 4:31 PM IST

फर्रुखाबादःजिले में धान किसान इस समय बेहाल हैं. किसानों को उनकी मेहनत के अनुसार धान का लागत मूल्य तक नहीं मिल पा रहा है. सरकारी क्रय केंद्र में कागजों की मारामारी के चलते किसान बिचौलियों को धान बेचने पर मजबूर हो रहे हैं. सरकारी रेट 18.88 रुपये घोषित किया गया है. जबकि किसान अपने धान बिचौलिये को 1000 से 1200 रुपये में बेचने को मजबूर हो रहे हैं. जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

धान खरीद में बिचौलियों का बोलबाला.

राज्य सरकार ने 5 दिसंबर से ही हर हाल में धान क्रय करने का निर्देश जारी कर रखा है. बावजूद सरकार की यह घोषणा फर्रुखाबाद में हवा हवाई साबित हो रही है. न तो प्रशासनिक अधिकारी की ओर से इस दिशा में अब तक कोई पहल की गई है. जिस कारण किसानों को चिंता बढ़ने लगी है. ईटीवी भारत ने धान खरीद पर किसानों का हाल जाना तो किसानों ने बताया कि हमारे समक्ष सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि हम किसानों ने साहूकार से कर्ज लेकर बड़ी मेहनत से धान फसल रोपी थी. पुनः किसान गेहूं की फसल लगाने के लिए महाजनों से कर्ज लेकर खेतों की जुताई और बुआई में पैसा लगा रहे हैं. बहुत से ऐसे किसान भी हैं जिसे अब कोई कर्ज देने को भी कोई तैयार नहीं है. ऐसे में किसानों को औने पौने दामों में धान बेचने को मजबूरी होना पड़ रहा है.

वहीं कुछ किसानों को सरकारी केंद्र की जानकारी ही नहीं है और कुछ किसानों को कहना है कि हम गरीब किसानों का कोई सुनने वाला नहीं है. किसान कहते हैं की धान केंद्रों पर इतनी कागजी कार्रवाई ही बता दी जाती है कि हम लोगों के लिए संभव नहीं है. वहीं क्षेत्र के किसान कहते हैं कि दिन रात एक कर कड़ी मेहनत से साहूकारों से कर्ज लेकर धान की फसल लगाते हैं, जिसका वाजिब कीमत हम लोगों को नहीं मिल पा रहा है.

एफसीआई केंद्र अधिकारी मोहम्मद इकरार हुसैन ने कि हम धान खरीद कर रहे हैं. किसान लगातार क्रय केंद्र आ रहे हैं. धान बेचने पर लीगल फॉर्मेलिटी तो करनी ही पड़ेगी जो सरकार की गाइडलाइन है. उसके अनुसार उनको नियमों का पालन करना पड़ेगा.

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