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Farrukhabad Bus Depot: लाखों का डीजल पी जाती हैं खराब सड़कें, जिम्मेदार कौन? - Farrukhabad Bus Depot

फर्रुखाबाद बस डिपो की बसें खराब सड़कों के कारण लाखों रूपये का अतिरिक्त डीजल की खपत कर रही है. इसी के साथ समय से पहले बसें खराब भी हो रही है. जिसके चलते बसों के मेंटेनेंस में भी लाखों रुपये लग रहे हैं..

खराब सड़कों के कारण लाखों रुपय के डीजल की खपत
खराब सड़कों के कारण लाखों रुपय के डीजल की खपत

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Published : Mar 11, 2023, 8:54 PM IST

खराब सड़कों के कारण लाखों रुपय के डीजल की खपत

फर्रुखाबाद: जिले की खराब सड़कों से हर कोई परेशान है. लोगों के साथ रोडवेज को भी खराब सड़कों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. रोडवेज की बसें हर माह लाखों का अतिरक्त डीजल फूंक रही हैं. हर रोज लगभग तीन हजार रुपये का डीजल खराब सड़कों के कारण के खपत बसों में खपत हो रहा है. इसके साथ करीब 2 लाख मेंटेनेंस का अतिरिक्त खर्च हो रहा है. यह जानकारी डिपो के एआरएम आरसी यादव ने दी.

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान एआरएम आरसी यादव ने बताया कि जर्जर सड़कों के कारण बसें स्पीड नहीं पकड़ रही हैं और टूट-फूट भी अधिक हो रही है. रोडवेज हर माह करीब 3 से 4 लाख का अतिरिक्त डीजल फूंक रहा है. स्थानीय डिपो के लाख प्रयास के बाद भी बसें गति नहीं पकड़ रही हैं. इसका मुख्य कारण जिले की टूटी और गड्ढों वाली सड़कें. सड़कों में बने गहरे गड्ढों में फंसकर बसों के पहिए थमते जा रहे हैं. शासन स्तर से लगातार सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के फरमान जारी होते हैं. लेकिन होता कुछ नहीं है.

एआरएम आरसी यादव का कहना है कि रोडवेज की बसों से जो मुनाफा मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है. हर रोज करीब 3 हजार का डीजल बसें अतिरिक्त लगता है. इसके अलावा खराब सड़कों के कारण बसों के टायर, कमानी स्टेरिंग आदि भी समय से पहले खराब हो रही हैं. जिले की खराब सड़कों के कारण बसें एवरेज कम दे रही हैं. उन्होंने बताया कि इटावा बरेली हाईवे सबसे ज्यादा खराब हालत में है. स्थानीय डिपो की 20 बसें संचालित होती है.

इसलिए इस रूट पर स्थानीय डिपो की संचालित बसें सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं. फर्रुखाबाद से बेवर मार्ग बहुत ही खराब है. इटावा डिवीजन की तुलना में हमारें डीजल की खपत कुछ ज्यादा है. इस मत में बेवर से फर्रुखाबाद रूट अत्यंत ही खराब है और मेंटेनेंस का भी खर्चा क्षेत्र में बढ़ जाता है क्योंकि बसें भी खराब होती हैं. बसों में अधिक लोड के कारण भी डीजल की ज्यादा खपत होती है.

एआरएम आरसी यादव का कहना है कि 'अभी हमारे डिपो को चार बसें नहीं मिली है जो कि नई तकनीक से बनाई गई है. जो पहले की बसे हैं उनके मुकाबले में नई तकनीक की बसे ज्यादा अच्छी हैं. स्थानीय डिपो की जिम्मेदारों की मानें तो सड़क ठीक हो जाए तो डिपो को हर महिने 8 लाख रुपये की बचत होगी. स्थानीय रोडवेज बीते दिनों से घाटे में चल रहा था. स्थानीय डिपो का प्रतिदिन 12 लाख के पार की कमाई का टारगेट रहता है. लेकिन बीते दिनों से बसें टारगेट छू नहीं पा रही है. हर रोज 10 लाख की लगभग कमाई हो रही थी. ऐसे में डिपो को हर रोज लगभग 4 लाख का घाटा हो रहा था. फिलहाल अब रोडवेज विभाग कमाई ठीक-ठाक कर रहा है और टारगेट भी छू रहा है.

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