फर्रुखाबादः जिले में भले ही अन्नदाता अपने बच्चों को उचित शिक्षा देकर अच्छी नौकरी का ख्वाब संजोते हों, लेकिन सिंगीरामपुर के एक लाल ने खेती की ललक में विदेश में मिली नौकरी को ठुकरा दिया. किसानों की तरक्की का सपना संजोए हुए इस लाल ने गांव में ही टिश्यू कल्चर लैब(tissue culture lab) और पाली हाउस खोल कर अपना भविष्य बना लिया.
गांव का यह बेटा दूसरों को भी रोजगार देकर विदेश की नौकरी से अच्छी आमदनी के साथ ही किसानों को तरक्की की राह बताने में जुटा है. वे गांव से ही देश के कई प्रांतों के साथ कारोबार कर रहे हैं. उनके द्वारा विकसित तकनीक और उन्नत बीजों ने आलू की पैदावार को दोगुना कर किसानों की आय भी दुगनी कर दी है.
बता दें, कि कमालगंज ब्लॉक क्षेत्र के सिंगीरामपुर गांव निवासी शिक्षक गोवर्धन दास पाल के पुत्र राहुल पाल ने एमएससी बायोटेक, एमबीए व एम फिल की पढ़ाई की. इसके बाद वर्ष 2009 में उन्होंने एक बीज कंपनी में नौकरी की फिर दिल्ली में एक कंपनी में परियोजना प्रबंधक हो गए. राहुल के कदम यहीं नहीं रुके, उन्होंने डेढ़ लाख रुपये मासिक वेतन पर इरिटेरिया ईस्ट अफ्रीका के नेशनल एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट(National Agriculture Research Institute) में नौकरी की.
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वहां उन्होंने बीज अनुसंधान( seed research) में महारत हासिल की और अपना टिश्यू कल्चर लैब लगाने की ठान ली. इसके लिए विदेश की नौकरी 1 साल बाद ही ठुकरा दी. वर्ष 2015 में वे अफ्रीका से नौकरी छोड़कर गांव आ गए और अपनी टिश्यू कल्चर लैब खोल दी. 800 वर्ग मीटर में पाली हाउस 1500 वर्ग मीटर में इन सेट हाउस खोला. इसके बाद आलू के बीज तैयार करना शुरू कर दिए और इसमें सफलता हासिल की. इस कारोबार से उन्होंने 25 लोगों को रोजगार दिया.