फर्रुखाबाद: जिले में चार दशक पहले तक गर्मी में पानी ठंडा करने के लिए मिट्टी का घड़ा घर-घर रखा जाता था. आम आदमी ही नहीं, शहर में पैसे वाले लोग भी घड़े का पानी पीना पसंद करते थे. जगह-जगह प्याऊ लगाए जाते थे. जमाना बदला और आधुनिक के दौर में फ्रीज और वाटर कूलरों का चलन बढ़ गया. गुमनामी में जा रहे घड़े का कोरोना ने सम्मान लौटाया. अब बुजुर्ग फ्रिज की जगह घड़े का पानी पीने की सलाह लोगों को दे रहे हैं. इससे घड़े की मांग बढ़ गई है.
घड़े का पानी पीने से नहीं होता कोई नुकसान
कुम्हार नन्हे सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि घड़े की डिमांड इस समय बढ़ी है. लोग घड़े को खरीद रहे हैं. इस समय कोरोना से आदमी बहुत परेशान है. घड़े के पानी पीने से हमारे शरीर में कोई नुकसान नहीं होता है. घड़े का पानी जब पहले व्यक्ति पीता था, तब बीमारियां कम होती थीं. आधुनिक युग में फ्रिज, वाटर कूलर का इस्तेमाल होने लगा तो कहीं न कहीं बीमारियां ज्यादा उत्पन्न हुई हैं.
80 से 150 रुपये में बिक रहा टोंटीदार घड़ा
फतेहगढ़ के भोलेपुर में घड़े की दुकान लगाए राजेश प्रजापति ने ईटीवी भारत को बताया कि घड़े की डिमांड कोरोना के कारण बढ़ी है. अब हम लोगों के पास स्कूलों, दुकानों, सरकारी विभागों, घरों से घड़ों की डिमांड आने लगी है. टोंटीदार घड़ा साइज के हिसाब से 80,120 व 150 रुपये तक बिक रहा है. घड़े के पानी में कीटाणु मर जाते हैं. शुद्धता रहती है. हमारे शरीर को कोई नुकसान नहीं देता. घड़े का पानी पीने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है. इसकी खूब मांग हो रही है, इसलिए उन्होंने घड़ा बनाना फिर शुरू कर दिया है.