फर्रुखाबाद में लिपिक और प्रधानाध्यापक निलंबित फर्रुखाबाद: जिले में एक शिक्षक ने शिक्षा विभाग के तीन अफसरों पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर जान देने की कोशिश की. लोहिया अस्पताल में उपचार के दौरान डॉक्टर ने उनकी हालत गंभीर होने पर सैफई के लिए रेफर कर दिया. वहां पर शिक्षक की मौत हो गई. शिक्षक के पास से मिले सुसाइड नोट से विभाग में खलबली मची हुई है. शिक्षक के बेटे ने गंभीर आरोप लगाए हैं. यह खबर ईटीवी भारत ने प्रमुखता से चलाई. तब जाकर शिक्षा विभाग जागा और संबंधित लिपिक व प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया गया. साथ ही खंड शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध अपर शिक्षा निदेशक को लिखा गया है.
फर्रुखाबाद डीएम को लिखा गया पत्र बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि सोशल साइड एवं स्थानीय मीडिया में अनिल कुमार त्रिपाठी पुत्र गिरीश चंद्र त्रिपाठी के आत्महत्या करने का पत्र वायरल हुआ है. उक्त पत्र में अनिल कुमार त्रिपाठी द्वारा गिर्राज सिंह खंड शिक्षा अधिकारी कायमगंज, सुरेंद्रनाथ अवस्थी एवं निर्देश गंगवार हेड मास्टर उच्च प्राथमिक विद्यालय झब्बूपुर विकासखंड कायमगंज, आशुतोष व बृजेश कुमार को आत्महत्या के लिए बाध्य करने और उकसाने के लिए जिम्मेदार बताया गया.
प्रकरण की गंभीरता से जांच के लिए खंड शिक्षा अधिकारी मुख्यालय व शमशाबाद की जांच समिति गठित की गई. समिति द्वारा गुरुवार को उक्त प्रकरण में गिर्राज सिंह खंड शिक्षा अधिकारी कायमगंज, सुरेंद्रनाथ अवस्थी कनिष्ठ सहायक कार्यालय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और निर्देश गंगवार प्रधानाध्यापक उच्च प्राथमिक विद्यालय झब्बूपुर विकासखंड कायमगंज को प्रथम दृष्टा प्रकरण में लापरवाही बरतने का दोषी पाया गया. गिर्राज सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए अपर शिक्षा निदेशक उत्तर प्रदेश प्रयागराज को प्रेषित किया गया है. सुरेंद्रनाथ अवस्थी और निर्देश गंगवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए अनुशासनिक कार्रवाई की गई. विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी.
शिक्षक के बेटे आशीष त्रिपाठी ने बताया कि बुधवार को सुबह पिता अनिल त्रिपाठी खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय गए थे. वहां से लौटकर घर आए थे. जब उनके कमरे में गया तो वह जमीन पर पड़े हुए थे. उन्होंने जान देने की कोशिश की थी. हालत बिगड़ने पर उन्हें कायमगंज सीएचसी में भर्ती कराया गया. जहां से डॉक्टरों ने हायर सेंटर रेफर कर दिया. सुसाइड नोट में पिता ने जिक्र किया है कि उन्हें 96 माह से वेतन नहीं मिला है. उन्होंने शिक्षा विभाग के अफसर, क्लर्क और प्रधानाध्यापक पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए जान के लिए उकसाने का आरोप लगाया है. आशीष त्रिपाठी का कहना है कि जल्द ही वह इस संबंध में थाने में तहरीर देंगे.
उसने बताया कि पिता पूर्व माध्यमिक विद्यालय झब्बूपुर में सहायक अध्यापक पद पर तैनात थे. जनवरी 2016 में उनकी सेवा समाप्त कर दी गई थी. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि उसके पिता अनिल कुमार त्रिपाठी ने सेवा समाप्ति के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में रिट दायर की थी. इस पर स्टे होने के कारण तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मार्च में बहाल कर दिया था. मार्च में वेतन भुगतान करने का आदेश जारी किया था. तभी से वह कार्यभार ग्रहण करने और पूर्व का वेतन पाने के लिए विभागीय अफसरों के पास चक्कर लगाते रहे.
प्रभारी बीएसए राजीव कुमार ने बताया कि संबंधित शिक्षक की नियुक्ति वर्ष 1999 में मृतक आश्रित में हुई थी. सन 1996 में इनकी इंटर की मार्कशीट फर्जी पाए जाने के मामले में इनको प्रकाश कर दिया गया था. उस आदेश को लेकर उसके विरुद्ध न्यायालय गए थे. वहां पर स्टे हो गया था. स्टेट के क्रम में तत्कालीन बीएसए ने एबीएसए कायमगंज को जॉइन करने का व वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया था. लेकिन, स्कूल में अभिलेख देखे गए तो वहां पर उनकी विद्यालय में हाजरी नहीं है. उनकी जॉइनिंग वहां पर नहीं मिली. इसलिए उनका वेतन वहां से नहीं निकला. इस मामले में कार्रवाई करते हुए संबंधित लिपिक और विद्यालय के हेड मास्टर को निलंबित किया जा चुका है. खंड शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध अपर शिक्षा निदेशक को कार्रवाई के लिए लिखा जा चुका है.
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