फर्रुखाबाद:उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही सरकारी स्कूलों जैसे प्राथमिक विद्यालयों में अच्छी शिक्षा व विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए अच्छी बिल्डिंग मुहैया कराए जाने का दावा करती हो. लेकिन फर्रुखाबाद में शिक्षा विभाग के स्कूलों में जर्जर बिल्डिंग की हकीकत बद से बदतर है. बेसिक शिक्षा विभाग बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है. यही वजह है कि जनपद में 132 जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत नहीं कराई जा रही है. विभागीय अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
फर्रुखाबाद की जर्जर हालत में 132 स्कूल ईटीवी भारत की टीम जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर प्राथमिक विद्यालय लायपुर नगरिया जवाहर में पहुंची तो शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय भवन जर्जर है. इस स्कूल का भवन 1985 में बनवाया गया था. इस स्कूल में 70 बच्चे पंजीकृत हैं. करीब 50 बच्चे प्रतिदिन विद्यालय में पढ़ने आते हैं. शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय की स्थिति के बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है. जब कोई अधिकारी निरीक्षण के लिए भी आता है तो उसके संज्ञान में रहता है. जब बरसात होती है तो नमी के कारण इसका प्लास्टर गिर जाता है.
स्कूल में पढ़ने वाले छात्र अभिजीत और अनन्या ने बताया कि डर लगता है कि कहीं यह बिल्डिंग गिर न पड़े. इसका प्लास्टर छूटता रहता है. ग्राम प्रधान संजय सिंह ने बताया कि विद्यालय की स्थिति बहुत ही खराब है. बारिश में छत से पानी टपकता है और प्लास्टर गिरने का डर रहता है. यह विद्यालय मरम्मत कराने की स्थिति में नहीं है. इस विद्यालय की सूचना उच्च अधिकारियों को दे दी गई है. इस विद्यालय को तोड़कर दोबारा से बनवाया जाए ताकि बच्चों की शिक्षा सुचारू रूप से चल सके.
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ग्रामीण व अभिभावकों ने बताया कि विद्यालय का भवन बहुत ही जर्जर हो चुका है. इसका पलस्टर गिरता रहता है. प्रधान अपने स्तर से इस विद्यालय को सही करवाता रहता है फिर भी उच्च अधिकारी इस ओर नहीं ध्यान दे रहे हैं. हम लोगों की मजबूरी है, बच्चों को शिक्षा दिलवानी है और कोई विकल्प नहीं है.
बताते चलें कि बीते शुक्रवार को शमशाबाद ब्लॉक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय रसीदपुर तराई में कक्षा कक्ष के लेंटर का प्लास्टर गिरने से दो छात्राएं जख्मी हो गई थी. यदि विभाग ने समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया तो किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है. बीएसए लालजी यादव ने बताया कि जर्जर विद्यालय की सूची टेक्निकल टीम के लिए जांच के लिए गई है. जनपद में 132 विद्यालय जर्जर हैं. 7 महीने से ऊपर हो गए हैं, अभी तक टेक्निकल टीम की जांच नहीं आई है. डीएम के साथ पिछले महीने बैठक भी हो गई है. सभी जर्जर विद्यालयों के अध्यापकों को सूचित कर दिया गया है कि वे लोग जर्जर स्कूल की बजाय पास के स्कूलों में कक्षाएं संचालित करें.
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