शिशु की मौसी और अस्पताल के डॉक्टर डीके सिंह ने बताया. इटावाःउत्तर प्रदेश के इटावा जनपद में डॉक्टर के बेहतर इलाज ने एक बेजान नवजात में जान डाल दी है. बच्चा जन्म के बाद सांस नहीं ले पा रहा था, जिसके बाद डॉक्टर ने अपने प्रयासों से इलाज करना शुरू किया था. डॉक्टरों के पैनल की टीम ने एक छोटे ऑपरेशन कर बच्चे को सही कर दिया है. परिजनों डॉक्टरों की टीम को धन्यवाद दिया है.
पूरा मामला इटावा जनपद के स्टेशन बजरिया के सुशीला हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर का है. यहां एक नवजात बच्चे की जान बचाने वाले डॉक्टरों को पीड़ित परिजनों ने भगवान का दर्जा दिया है. यहां चिकित्सकों की टीम ने 10 दिनों तक एक नवजात शिशु की जान बचाने में जी जान लगा दी थी. बता दें कि जन्म के बाद नवजात को सांस लेने में काफी परेशानी थी, ऑक्सीजन देने के बावजूद भी शिशु में कोई सुधार नहीं हो रहा था.
अस्पताल के डॉक्टर डीके सिंह ने बताया 9 दिसंबर को दिव्यांशी हॉस्पिटल में एक नवजात शिशु पैदा हुआ था. शिशु कम दिनों का होने की वजह से उसे सांस लेने में समस्या हो रही थी. उन्होंने बताया कि शिशु का मामला क्रिटिकल कंडीशन का था. शिशु ऑक्सीजन सपोर्ट देने के बावजूद भी बच्चा संस नहीं ले पा रहा था. एक इंजेक्शन देने के बाद भी बहुत अच्छा रिस्पांस नहीं मिला, इस दौरान शिशु को वेंटिलेटर पर रखने के बावजूद भी कोई असर नहीं दिखा.
डॉ डीके सिंह ने बताया बच्चे का एक्स-रे कराया तो उसमें बच्चे का एक लंग पंचर पाया गया. जिसे मेडिकल की भाषा में थोरेक्क बोलते हैं. इसके बाद उन्होंने शिशु के परिजनों को बताया गया कि किसी अच्छे अस्पताल में दिखा लें. यहां शिशु के परिजनों ने बताया कि वह लोग बहुत ही गरीब हैं. कहीं पर इलाज नहीं करा सकते हैं, आप ही बच्चे का इलाज करें. इसके बाद उनकी टीम ने बच्चे का एक छोटा से ऑपरेश किया. जहां बच्चे के चेस्ट ट्यूब से एयर को निकाला गया. इसके बाद धीरे-धीरे बच्चा ठीक होता चला गया. अब बच्चा पूरी तरह से ठीक है.
बता दें कि इटावा के टकीपुरा गांव निवासी नवजात के पिता बृज बिहारी ने बताया कि वह डॉक्टर का एहसान कभी नहीं भूलेंगे, उन्होंने उनके घर की लक्ष्मी की जान बचाई है. वहीं शिशु की मौसी ने बताया कि हालात बहुत ही गंभीर थी, लेकिन यहां के भगवान रूपी चिकित्सकों ने बेहतर इलाज कर शिशु की जान बचा ली. वह अस्पताल के सभी चिकित्सकों को धन्यवाद देती हैं.
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