इटावा: देश-दुनिया में बजरंगबली के कई चमत्कारी मंदिर हैं, जो उनके होने का अहसास कराते हैं. ऐसा ही एक मंदिर इटावा जनपद में है. यह मंदिर सिविल लाइन से करीब 20 किमी दूर पिलुआ में स्थित है, नाम है पिलुआ हनुमान मंदिर. इस मंदिर में हनुमान जी न सिर्फ भक्तों की मुराद सुनते हैं, बल्कि उनके प्रसाद को ग्रहण भी करते हैं. खास बात ये है कि यहां विराजमान हनुमान जी के मुख से सियाराम की ध्वनि निकलती है. वहीं वे भक्तों के चढ़ाए लड्डू को खाते हैं और दूध भी पीते हैं.
इटावा का पिलुआ हनुमान मंदिर. बता दें, यहां बड़े मंगल समेत कई पर्व-त्योहारों पर लाखों की संख्या में भक्त आते हैं, लोग इसे आस्था का केंद्र मानकर अपने आराध्य की पूजा करते हैं. वहीं इतिहासकार यहां अन्वेषण की भी बात करते हैं. यह मंदिर इटावा ही नहीं, बल्कि आस-पास के कई जनपद के लिए श्रद्धा के साथ आकर्षण का केंद्र है.
पिलुआ हनुमान मंदिर आने वाले भक्त आदेश ने बताया कि वो चल नहीं पाता है, लेकिन जब भी उसका मन मंदिर आने का करता है, तो वह चल पड़ता है और बिना किसी दिक्कत के मंदिर आ जाता है. ऐसे ही कई भक्त हैं, जो पिलुआ हनुमान मंदिर के चमत्कारिक रूप की चर्चा करते हैं.
पांडव काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
मंदिर के महंत हरभजन दास ने बताया कि मंदिर का इतिहास पांडव काल से है. जब पांडव अपना अज्ञात वास काट रहे थे, तो हनुमान जी यहां भीम का अहम खत्म करने के लिए वानर रूप में पिलुआ वृक्ष के नीचे लेटे हुए थे. क्योंकि भीम ने उससे पहले कीचक का वध किया था, तो उनको घमंड हो गया था. इस दौरान भीम ने हनुमान जी को अपनी पूंछ हटाने को कहा, लेकिन उन्होंने नहीं हटाया. इस पर भीम उनकी पूंछ हटाने की कोशिश करने लगे, लेकिन नहीं हटा पाए और उनका घमंड खत्म हो गया.
हनुमान जी को लड्डू खिलाते मंहत
प्रतापनेर के राजा को सपने में दिए दर्शन
महंत हरभजन ने बताया कि प्रतापनेर के राजा हुकुमचंद तेजप्रताप सिंह को हनुमान जी ने सपने में अपने पिलुआ वृक्ष के नीचे होने की बात कही थी. उनसे उनकी पूजा करने को कहा, लेकिन राजा ने उन्हें अपने किले में ले जाने के लिए खुदाई शुरू करा दी, तब हनुमान जी ने कहा कि तुम मेरा मुख दूध से भर दोगे तो मैं चल दूंगा, जिसके बाद पूरे राज्य का दूध राजा ने हनुमान जी के मुख में डाल दिया, लेकिन उनका मुख नहीं भरा, जिसके बाद राजा ने गलती मानकर उनकी यहीं पूजा शुरू कर दी.
अकेली मूर्ति जो खाती है लड्डू
मंदिर के महंत ने बताया कि पूरे भारत में दो ही लेटे हुए हनुमान की मूर्ति है. एक प्रयागराज में और दूसरी पिलुआ धाम में. लेकिन यह खुद में अकेली मूर्ति है, जो न सिर्फ लड्डू खाती है, बल्कि शांति से सुनने में सियाराम की माला भी जपती है.
मंदिर निकास प्रणाली और स्थापत्य कला का है अद्भुत नमूना
इतिहासकार और सामज शास्त्र के जानकार डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने पिलुआ हनुमान मंदिर को लेकर बताया कि यह मंदिर जिसमें कहा जाता है कि हनुमान जी खुद लड्डू खाते हैं. यह कहीं न कहीं स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है. क्योंकि कहा जाता है कि मंदिर से लड्डू यमुना नदी में जाते हैं, जोकि अपने आप में उस समय के स्थापत्य कला को दर्शाता है.
अन्वेषण करने पर आएंगे तथ्य सामने
डॉ. शैलेन्द्र ने बताया कि यहां पर अन्वेषण करने की जरूरत है. यदि यहां ढंग से अन्वेषण किया जाए तो कई नए तथ्य सामने आएंगे. वहीं उन्होंने कहा कि लगातार जो राम नाम की धुन की बात है उसमें यदि हम किसी भी बारे में सोचते हैं तो हमें लगने लगता है वो हो रही है. कुछ ऐसा ही मंदिर में राम धुन को लेकर है. क्योंकि लोग वहां श्रद्धा के साथ जाते हैं, जिस वजह से ऐसा होता है.