इटावाः पूरा विश्व कोरोना महामारी से लड़ रहा है और मौत का आंकड़ा दिनों दिन बढ़ रहा है. जिस वजह से कोरोना काल में अधिकांश प्राइवेट हॉस्पिटल बंद होने की वजह से लगभग पूरे जनपद के मरीज जिला अस्पताल आ रहे हैं. वहीं जिला अस्पताल खुद ब्लड बैंक में खून की कमी से जूझ रहा है. जिस ब्लड बैंक में 300 यूनिट ब्लड हमेशा रहता था. वहां आज सिर्फ 8 यूनिट ब्लड बचा है.
ब्लड बैंक में ब्लड की कमी. कोरोना की वजह से अब समाजसेवी संस्था भी ब्लड डोनेट करने से कतरा रही है. जिस वजह से जिला अस्पताल में ब्लड की कमी हो गई है. लगातार जिला अस्पताल प्रशासन अपील कर रहा है कि लोग आकर ब्लड डोनेट करें, लेकिन कोरोना की वजह से लोग नहीं आ रहे हैं. बता दें कि जिला ब्लड बैंक में 300 यूनिट की क्षमता के 2 फ्रीजर हैं. ब्लड की कमी से जहां तीमारदार परेशान हो रहे हैं. वहीं डॉक्टर्स भी इसको लेकर चिंतित हैं.
सामाजिक संस्थाओं ने भी बना ली है दूरी
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसएस भदौरिया ने बताया कि कोरोना काल के बाद से जो संस्थाएं ब्लड डोनेट करती थीं, उन्होंने ने भी डोनेट नहीं किया. इसी के साथ अभी सिर्फ रेड क्रॉस से ही पूर्ति हो रही थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद से ही जब सब अस्पताल बंद हो गए तो मरीजों की संख्या भी बढ़ी है. जिस वजह से अब ब्लड की कमी होने लगी है. जिला अस्पताल कई संस्थाओं को पत्र लिख चुका हैं, लेकिन अभी तक कोई नहीं आया है.
अधिकांश आते हैं गरीब और असहाय
सीएमएस ने बताया कि अस्पताल में अधिकांश गरीब और असहाय लोग ही आते हैं, जिनके पास न कोई डोनर होता न अन्य कोई व्यवस्था. जिस वजह से ब्लड जा तो रहा है, लेकिन आ नहीं रहा है. अब इस समय 300 क्षमता वाले ब्लड बैंक में सिर्फ 8 यूनिट ब्लड बचा है, जबकि ब्लड बैंक में 50 यूनिट ब्लड होना ही चाहिए और उसमें भी सभी ग्रुप के ब्लड होने चाहिए.
मरीजों को कर रहे सैफई रेफर
वहीं मरीजों को हो रही परेशानी को लेकर सीएमएस ने कहा कि जिस मरीज के साथ डोनर आ रहे हैं. उसको तो ब्लड आसानी से मिल जा रहा है. वहीं जिसके साथ डोनर नहीं हैं. उसको ब्लड की कमी की वजह से सैफई रेफर किया जा रहा है. ऐसे माहौल में बड़ा सवाल ये है कि अगर एक साथ 20 से 30 मरीज अगर सामने आ गए, जिन्हें तत्काल ब्लड की आवश्यकता होगी तो जिला अस्पताल उनकी पूर्ति कहां से कर पाएगा.